<p>बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को एक साथ दो बधाईयां दी है। पहली बधाई इस बात की कोरोना संकट के बीच बीजेपी शासित राज्यों में हिमाचल प्रदेश की कार्य शैली सबसे बेहतर रही। और दूसरी बधाई पटवारी भर्ती परीक्षा में सीबीआई जांच के बाद हाईकोर्ट से प्रदेश सरकार पर लगे सभी आरोपों को खारिज किया है। शांता ने कहा कि प्रदेश सरकार, पूरा प्रशासन और जनता भी कोरोना संकट के समय अच्छे काम के लिए बधाई की पात्र है।</p>
<p>शांता ने विपक्ष से निवेदन किया है और आग्रह भी किया है कि भविष्य में किसी भी प्रकार के आरोप लगाने से पहले वह स्वंय अच्छी तरह जांच कर लें। अच्छा होगा यदि विपक्ष अपने प्रमुख नेताओं की एक समिति बनाये। पूरी छानबीन के बाद आरोप लगाये। बिना जांच किये आरोप लगाना भी उचित नहीं है। जब भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं तो सरकार ही नहीं पूरा प्रदेश बदनाम होता है। भ्रष्टाचार के समाचार सभी समाचार पत्रों में कई दिन तक चलते रहते हैं। एक बहुत ही दूषित वातावरण बनता है। अब जब पटवारी परीक्षा में सीबीआई ने भ्रष्टाचार के आरोप खारिज कर दिये हैं तो विपक्ष को गलत आरोप लगाने के लिये जनता से क्षमा मांगनी चाहिये। इससे विपक्ष का बड़प्पन प्रकट होगा। केवल आरोप के लिए आरोप लगना राजनीति नहीं है। हिमाचल सरकार सीबीआई जांच से अधिक कुछ नहीं कर सकती। अमेरिका की एफबीआई से तो हम जांच नहीं करवा सकते।</p>
<p>उन्होंने कहा है कि सत्ताधारी दल को भी चाहिए कि यदि विपक्ष ठीक आलोचना करता है तो उसके लिए विपक्ष का धन्यवाद करें। लोकतंत्र में पक्ष और विपक्ष लोकतंत्र के रथ के दो पहिये हैं दोंनो अपने-अपने स्थान पर ठीक चलें तभी लोकतंत्र सफल हो सकता है। विपक्ष रथ के चलने के लिए एक पहिया है- बरेक नहीं है। शांता ने कहा कि छोटे से हिमाचल प्रदेश में प्रतिदिन समाचार पत्रों में भ्रष्टाचार के इतने समाचार होते हैं कि मन बहत दुखी हो जाता है। कोरोना महामारी के समाचार ही लोगों को व्यथित करने के लिए काफी हैं।</p>
<p>शांता ने कांग्रेस में अपने एक आदरणीय मित्र वीरभद्र सिंह से अपील की है कि वे इस दिशा में कांग्रेस का मार्ग दर्षन करें। डा. परमार से लेकर उस समय की राजनीति उन्होने देखी है। आज के मुकाबले उस समय की राजनीति बहुत अधिक रचनात्मक होती थी। उन्हें याद है कि विधानसभा में कुछ विपक्षी विधायक जब डा. परमार पर व्यक्तिगत हस्ताक्षेप करते थे तो मैं और कंवर दुर्गा चन्द उसका विरोध करते थे। हिमाचल में लोकतंत्र की अच्छी परम्परा रही है। उन्होंने सभी से अपील की है कि हिमाचल की राजनीति को और भी अधिक रचनात्मक बनाने की कोशिश करें।</p>
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