बीजेपी के वरिष्ठ ने एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि कसौली में खुशबंत सिंह, साहित्यकार कार्यक्रम के संबंध में दिये गये उनके ब्यान का कुछ मित्रों ने गलत अर्थ निकाला हैं। उन्होने उस कार्यक्रम की सराहना की थी और यह कहा था कि हिमाचल प्रदेश में इतना महत्वपूर्ण कार्यक्रम प्रति वर्ष होना अच्छी बात है। हिमाचल प्रदेश के लिए यह सौभाग्य की बात है कि भारत ही नहीं विश्व से भी कुछ बड़े साहित्यकार और बुद्धिजीवी उस कार्यक्रम में भाग लेते हैं।
उन्होने राहुल सिंह से यह विशेष आग्रह करने की बात कही थी कि इस प्रकार के विद्वान साहित्यकार और बुद्धिजीवियों के कार्यक्रम में केवल संवाद विचारो का आदान-ंउचयप्रदान और विचार-ंउचयविमर्श ही होना चाहिए। उन्होने यह भी कहा था कि उस संवाद में कुछ भी ऐसा न हो जिस पर कोई विवाद खड़ा हो सके। उनके कहने का सीधा सा अर्थ था कि कार्यक्रम में राजनैतिक मुददे और धारा-ंउचय 370 की चर्चा नहीं होनी चाहिए। बुद्धिजीवियों के कार्यक्रम में उन्होने अपनी टिप्पणी राजनैतिक भाषा में नहीं की थी। इसी कारण सोलन के कुछ मित्रों को भ्रम हो गया । अच्छा होता वे उन्हें फोन करके पूछ लेते।
शांता कुमार ने कहा कि यदि वे उन्हें एक हिन्दू नहीं समझते तो उन्हें कुछ भी नहीं कहना है। उन्हें बस इतना ही कहना है कि जीवन के इस अन्तिम मोड़ पर मुझे किसी से भी हिन्दू होने का प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता नहीं है। उन्होने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि इन मित्रों ने क्रोध में आकर उनका पुतला भी फूंका। यह धारणा है कि जिस का पुतला फूंका जाता है उसकी आयु बड़ जाती है। शांता ने कहा कि उन्हें देश की सेवा करने का ओर समय मिला जाए तो उनके लिए सौभाग्य ही होगा।