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शांता ने PM मोदी को लिखा पत्र, बढ़ती आबादी को रोकने के लिए कानून बनाने की उठाई मांग

मृत्युंजय पुरी |

बीजेपी वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंख्यमंत्री शांता कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर लगातार बढ़ते प्रदूषण और उसके कारण कोरोना पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि देश की राजधानी गैस चैंबर बन गई है। देश की राजधानी दिल्ली विश्व के 190 देशों की राजधानियों में सबसे अधिक प्रदूषित हो गई है। अब तो राजधानी कोरोना कैपिटल भी बन गई है। शांता ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा कि भारत के उत्तर में हिमालय और दक्षिण में समुद्र से सजा हुआ भारत एकदम प्रदूषण से क्यों कराहने लग पड़ा है। यह प्रदूषण एकदम तो कहीं से नहीं आ गया। उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई है कि इस समस्या पर केवल हवा में ही लाठियां घुमाई जा रही हैं। प्रदूषण के असली कारण को नहीं देखा जा रहा है। 

उन्होंने लिखा कि सबसे बड़ा कारण बढ़ती जनसंख्या का विस्फोट है। भारत आजादी के बाद 35 करोड़ से बढ़ते-बढ़ते आज 141 करोड़ आबादी वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। आबादी के साथ-साथ सब कुछ बढ़ता है। यही प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने लिखा कि केवल प्रदूषण ही नहीं देश में बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी का कारण भी जनसंख्या विस्फोट है। शांता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले 6 सालों में गरीबी और बेरोजगारी को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास हुए हैं। उसके बाद भी ग्लोवल हंगर इंडैक्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर रोज 19 करोड़ लोग लगभग भूखे पेट सोते हैं। बेरोजगारी के कारण युवा पीढ़ी हताश और निराश है। जिस कारण से आत्महत्याएं बढ़ रही हैं। 

शांता ने प्रधानमंत्री मोदी से इस बात का गिला किया है कि साल 2019 के 15 अगस्त के लाल किले के भाषण में उन्होंने पहली बार इस समस्या का जिकर किया था और कहा था कि जनसंख्या विस्फोट चिंता का विषय है। शांता ने कहा कि यदि यह विस्फोट है तो आज तक लगभग 500 दिनों में सरकार ने उसे रोकने के लिए कुछ भी क्यों नहीं किया।

उन्होंने लिखा कि कोरोना की वैक्सीन तो आ जाएगी लेकिन जनसंख्या विस्फोट के कारण बढ़ती गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी देश के लिए एक बहुत बड़ा संकट बनता जा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री को सुझाव दिया कि अतिशीघ्र पहल करें। कश्मीर की धारा 370 को खत्म करने से भी अधिक जनसंख्या विस्फोट की समस्या है। इसके लिए अतिशीघ्र एक कानून बने और एक ही नारा हो "हम दो-हमारे दो-अब सब के भी दो"। इतना ही नहीं एक बच्चे के परिवार को इतनी अधिक सुविधाएं दी जाएं ताकि आबादी कम भी होती जाए।