हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र सीटों के चुनाव की दिशा में राजनीतिक दलों ने माथा-पच्ची शुरू कर दी है। इस क्रम में बीजेपी की बात करें तो पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने पहले ही कांगड़ा-चंबा से चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है। वहीं, शिमला लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी कैंडिडेट को लेकर स्थिति करवट बदलती नज़र आ रही है। सियासी गलियारों में चल रही चर्चाओं पर गौर करें तो शिमला से वर्तमान सांसद वीरेंद्र कश्यप का टिकट बीजेपी काट सकती है। लेकिन, इसमें भी अभी कई पेंच शामिल हैं। क्योंकि, सिरमौर की सभा में परोक्ष रूप से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कश्यप के नेतृत्व को लोकसभा चुनाव में अहम बताया था।
शिमला में बीजेपी किसी भी सूरत में जातीय समीकरण के हिसाब से ही कैंडिडेट का चयन करेगी। क्योंकि, यह लोकसभा क्षेत्र अति पिछड़ा आरक्षित क्षेत्र है। साथ ही यहां पर 9 फीसदी कोली वोटों की भूमिका भी काफी निर्णायक रहती है। ऐसे में कोली समुदाय पर ही बीजेपी अपना यकीन रखेगी।
अगर गौर करें तो बीजेपी के नेताओं के अलावा एक और वरिष्ठ राजनेता हैं, जो अपना दांव कांग्रेस में खेलने के लिए तैयार हैं। लेकिन, अगर यहां पर भाव नहीं मिला तो वह अपना रुख बीजेपी की तरफ कर सकते हैं। इन हजरात का नाम है धनीराम शांडिल्य। शांडिल्य फिलहाल सोलन से कांग्रेस के विधायक हैं और अपने ही दामाद राजेश कश्यप को शिकस्त दिया था। माना जा रहा है कि अगर परिस्थिति बदलती है और बीजेपी उन्हें अपनाती है तो वह सोलन की सीट छोड़ लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमा सकते हैं।
इसके अलावा अटकलों के तीसरे पड़ाव पर गौर करें तो बीजेपी शिमला लोकसभा से किसी महिला उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतार सकती है। इनमें कुसुम सदरेट और शशि बाला का नाम आगे है। चर्चाओं के मुताबिक नगर निगम में किरकिरी के बाद ज्यादा ध्यान कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुई शशि बाला की तरफ ज्यादा है। शशि बाला ने रोहड़ू से बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन वह हार गई थीं। मगर, अगर परिस्थिति महिला उम्मीदवार के हक में बनती है तो यह भी एक बड़ी दावेदार मानी जा रही हैं।