देश भर में उम्मीद थी कि गुजरात और हिमाचल के चुनावों की तारिख़ की घोषणा एक साथ होगी। लेकिन, ऐसा नहीं हो पाया क्योंकि शायद बीजेपी को गुजरात में हार का डर सता रहा है। जिसके पीछे वजह भी है एक तो पिछले 22 सालों से गुजरात में बीजेपी की सरकार है इसलिए लगता है कि एंटी कॉवेंसी फेक्टर का डर बीजेपी को सत्ता रहा है दूसरा GST को लेकर गुजरात के व्यापारियों की नाराज़गी बीजेपी पर भारी पड़ सकती है।
केंद्र ये भली भांति जनता है कि गुजरात यदि हाथ से निकला तो केंद्र की मोदी लहर भी हवा हो जाएगी। इसलिए गुजरात को साधने के लिए बीजेपी अभी और अधिक समय लेना चाहती है। यही कारण है कि हिमाचल में तो चुनावों की घोषणा कर दी गई जबकि, गुजरात में नहीं हुई।
इससे यही सपष्ट होता है कि बीजेपी चाहती है कि हिमाचल की हवा का रूख गुजरात की तरफ बदला जाए। क्योंकि, हिमाचल में जिस तरह बदलाब का इतिहास रहा है उसको जरिया बनाकर बीजेपी गुजरात में फायदा लेने की की दिशा में आगे बढ़ रही है। जीएसटी के साथ जय शाह का का मुद्दा भी भाजपा पर भारी पड़ता दिख रहा है। इसलिए बीजेपी इन सभी चीजों को पहले शांत कर लेना चाहती है उसके बाद गुजरात चुनाव की घोषणा के मूड में दिख रही है।