सुरेश चंदेल याद हैं आपको? शायद आपके दिमाग से यह नाम उतर गया हो, ख़ासकर हिमाचल की नई जनरेशन से। प्रदेश की सियासत में कभी बड़ा कद हुआ करता था। हमीरपुर से तीन बार सांसद भी रहे। बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री की रेस में भी शामिल थे। लेकिन, ऑपरेशन दुर्योधन ने सब बंटाधार कर दिया। 2012 में बीजेपी के टिकट से विधानसभा चुनाव भी लड़े लेकिन हार गए।
हालांकि, राजनीति में एक कौन कब महत्वपूर्ण हो जाए कहा नहीं जा सकता। सियासी बिसात पर कौन शहीद सिपाही फिर से जिंदा हो जाए इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। इसी नजरिए के बरक्स सुरेश चंदेल भी अपनी किस्मत को आजमाते हुए राजनीतिक दांवपेच शुरू करने जा रहे हैं। यह हम नहीं बल्कि खुद सुरेश चंदेल ने माना है कि आगामी वक़्त में उनकी आहट जोरदार होने वाली है।
समाचार फर्स्ट के साथ टेलिफोनिक बातचीत में सुरेश चंदेल ने गुजरे वक़्त से नसीहत लेते हुए भविष्य की ओर कूंच करने की बात कही है। यहां तक कि अपनी पार्टी बीजेपी से भी नाता तोड़ सकते हैं और नए गठजोड़ में भी शामिल हो सकते हैं। मसलन उन्होंने अपने सारे विकल्प खोल दिए हैं।
क्या दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ेंगे?
भविष्य को लेकर जब समाचार फर्स्ट ने सुरेश चंदेल से पूछा कि सक्रिय राजनीति के लिए चुनावी मैदान जरूरी होता है। भविष्य में वह क्या सोचते हैं? इस पर चंदेल ने कहा कि कोई भी सिपाही एक सीमा तक इंतजार करता है। मैं अब राजनीति के इन बेकार चक्करों से बाहर निकलना चाहता हूं और उसके लिए लगातार कोशिश भी कर रहा हूं। रास्ता भी ढूंढ रहा हूं।
समाचार फर्स्ट ने पूछा कि क्या आप दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ेंगे। इस पर चंदेल ने कहा कि फिलहाल बीजेपी से जुड़ा हूं। लेकिन, राजनीति में सभी विकल्प खुले रहते हैं। इसलिए बाकी विकल्पों से परहेज नहीं है। तलाश जारी है।
2012 विधानसभा चुनाव में कम-बैक, लेकिन 2017 में टिकट नहीं मिला। कोई मलाल?
समाचार फर्स्ट ने सुरेश चंदेल से पूछा कि 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कम बैक किया। लेकिन, वह चुनाव भी हार गए। फिर दोबारा 2017 में विधानसभा चुनाव हुआ। लेकिन, टिकट नहीं मिला। इन सब बातों को लेकर कोई मलाल रहा है? इस पर चंदेल ने जवाब दिया कि 2017 के विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने का मलाल जरूर रहा है। उन्होंने कहा कि 2012 से 2017 तक मैं क्षेत्र में ही रहा। लोगों के बीच उनकी मदद करता रहा। लेकिन, पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल, प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती और केंद्रीय मंत्रीजेपी नड्डा को किसी ने गलत जानकारी दी और मुझे टिकट नहीं मिला।
2012 के चुनाव पर बोलते हुए सुरेश चंदेल ने कहा कि उन्हें उस दौरान पार्टी ने देरी से टिकट दिया। तब तैयारी करने और जनसंपर्क का भी ज्यादा मौका नहीं मिल पाया। हालांकि, मैं किसी को उस हार के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराता। वह हार मेरी निजी जम्मेदारी है। दरअसल, उस दौरान राजनीतिक रूप से बड़े लेवल पर वोट शिफ्ट हुए थे। जिसके चलते मेरी हार हुई।