जब से बोर्ड और निगमों के नए पदाधिकारियों के नामों का ऐलान हुआ है तब से भोरंज मंडल में लोकल राजनीति बदलती नज़र आ रही है और बीजेपी में बगावत की जो चिंगारी पूरे प्रदेश में सुलग रही है उसकी शुरूआत बीजेपी का गढ़ भोरंज हो सकता है।
भोरंज मंडल ने घोषणा की है कि अगर पूर्व विधायक डाक्टर अनिल धीमान को सरकार में जिम्मेदारी नहीं दी तो बगावत और सामूहिक इस्तीफे होंगे।अब इसी कड़ी में भोरंज की विधायक कमलेश कुमारी का बयान भी सामने आया है।
कमेलश कुमारी कहती हैं कि भोरंज विधानसभा ने बड़े-बड़े कार्यकर्ता दिए हैं जो संघ और बीजेपी में कार्यकर्ता के तौर पर ही काम कर रहे हैं। लेकिन कभी किसी पद की इच्छा जाहिर नहीं की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पवन राणा जैसे चेहरे भी हैं जो पूरी तरह संगठनात्मक हैं और पद के लिए सरकार से कोई मांग नहीं करते।
वहीं, अनिल धीमान जहां सारे मामले को हाईकमान के समक्ष रख चुके हैं और चुप्पी सादे हुए हैं। वहीं, सूत्रों की माने तो अपनी नाराजगी उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम से भी जाहिर कर दी है।
इस तरह से एक बात स्पष्ट हो चुकी है की सत्ता का दूसरा केंद्र भोरंज में ना बने इसको लेकर विधायक कोम्प्रोमाईज़ करने के मूड में नज़र नहीं आ रही है। वहीं, अनिल धीमान की चुप्पी और इसके साथ मंडल की धमकी स्पष्ट करती है कि भोरंज की राजनीति किसी बड़े बदलाव की तरफ तो जा ही रही है। साथ ही कमलेश को भी बीजेपी के इस गढ़ को भविष्य में सभालने के लिए खासा दम दिखाना पड़ेगा और अनिल के साथ मंडल की नाराजगी लोकसभा चुनावों में असर दिखाएगी या नहीं महत्वपूर्ण है।