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सदन में उठा मामला, जनप्रतिनिधि और अफ़सर त्यागें वाहनों का मोह

पी. चंद |

हिमाचल में भी दिल्ली पंजाब और हरियाणा की तर्ज़ पर प्रदूषण की मात्रा बढ़ने लगी है। हिमाचल में प्रदूषण की सबसे बड़ी समस्या का कारण गाड़ियां हैं। प्रदेश की राजधानी शिमला में गाड़ियों की संख्या डेढ़ से पोन दो लाख पहुंच चुकी है और पार्किंग मात्र दस है। जिनमें 30 हज़ार गाड़ियों के खड़े होने की जगह है। ये मामला शीतकालीन सत्र में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान विक्रमादित्य सिंह ने उठाया। 40 फ़ीसदी गाड़ियां सरकारी विभागों की है। कार पूलिंग के सिस्टम से विधानसभा सदस्य अपने से शुरुआत करें। सरकारी अफ़सर के बच्चों को गाड़ियों में ढोया जा रहा है। इस पर रोक लगाने की जरूरत है।

जबाब में वन मंत्री गोविन्द ठाकुर ने माना कि हिमाचल में वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। क्योंकि प्रदेश में लगातार वाहन बढ़ रहे हैं। 1991में प्रदेश में लगभग 3523 दो पहिया वाहन थे जो अब बढ़कर 8 लाख 78 हज़ार 480 तक पहुंच चुके हैं। 1991 में चार पहिया वाहन 10073 वाहन  थे जो अब  13 लाख 88 हज़ार 690 हो चुके हैं। सरकारी क्षेत्र में भी वाहनों की संख्या बढ़ी है। इसलिए अब समय आ गया है कि जनप्रतिनिधियों को ही पहल करनी होगी। सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन दे रही हैं।

इसके अलावा मुख्य सचेतक नरेन्द्र बरागटा ने ऊपरी शिमला में पुलों की स्थिति पर मुख्यमंत्री का ध्यानाकर्षण किया। जबकि धनी राम शांडिल ने सोलन नगर परिषद की आमदनी का मामला उठाया। अंत मे नियम 130 के तहत प्रदेश में महिला उत्पीड़न के मामलों की बढ़ती संख्या पर सदन विचार करेगा। ये प्रस्ताव विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री द्वारा लाया गया।