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राजनीति की पुरानी खटास की शिकार तो नहीं हो रही नई सरकार!

नवनीत बत्ता |

धूमल और शांता की राजनीतिक खुन्नस कहीं जयराम सरकार पर भारी तो नहीं पढ़ने जा रही । इस बात को लेकर चर्चाएं इसलिए चल रही हैं क्योंकि पिछले कुछ समय से दोनों ही गुट एक शीत युद्ध की तरह एक दूसरे के समक्ष या यह कहें कि समांतर खड़े नजर आ रहे हैं । इसमें चाहे उदाहरण के तौर पर हम धूमल की इस नसीहत को ले लें जो उन्होंने भत्ता बढ़ोतरी को लेकर सरकार को दी थी कि भत्ता बढ़ोतरी से पहले एक कमेटी का गठन कर लेना चाहिए। वहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने उनके बयान पर जो कहा था वह मीडिया में खासा चर्चा में रहा । अब उसके बाद एक पत्र बम पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। उससे भी अधिक चर्चा बीजेपी के एक पूर्व मंत्री रविंद्र रवि पर इस पत्र को लेकर चल रही है ।

मसला इसलिए हैरान कर देने वाला है क्योंकि पत्र बम राजनीति में कोई नया काम नहीं है। अक्सर इस तरह के काम सरकारों में होते रहते हैं। लेकिन जांच का स्तर तक चला जाना अपने आप में बड़ी बात है । और यह स्पष्ट है कि कहीं न कहीं बीजेपी में गुटबाजी अंदर खाते चल रही है। और बेशक कोई भी बड़ा नेता जिसमें इन विषयों पर कुछ भी बोलने से बचता नजर आ रहा हो लेकिन राजनीति करने से कोई पिछड़ता नजर नहीं आ रहा। पिछले कल जिस तरह से राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदले और दो मंत्री विपन सिंह परमार और विक्रम ठाकुर इस पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री से मिले हैं। और उसी दौरान पूर्व मंत्री रविंद्र रवि पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से मिलने उनके घर गए हैं ।

हालांकि दोनों ही तरफ से कोई आधिकारिक बयान इन मुलाकातों को लेकर नहीं आया। लेकिन स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि यह सारी मुलाकातें और चुप्पी सिर्फ मौजूदा घटनाक्रमों को लेकर ही चल रही हैं । ऐसे में अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जिन की जवाबदेही  जनता को भी बनती है और हाईकमान को भी बनती है किस तरह से निकलकर आगे आते हैं। क्योंकि लगातार पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार का दबाव भी इस विषय को लेकर बना हुआ है। हालांकि सभी को पता है कि अपने समय में शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल का हमेशा 36 का आंकड़ा राजनीतिक रूप से रहा है और कहीं न कहीं वह पुरानी कड़वाहट एक बार फिर अब सामने आने लगी है।