<p>हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी यूनियन का जिला शिमला सम्मेलन कालीबाड़ी हॉल शिमला में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में लगभग 200 कर्मियों ने भाग लिया। सम्मेलन में 29 सदसीय कमेटी का गठन किया गया। जिसमें वीरेंद्र लाल को अध्यक्ष, देवराज बबलू, राजेश शर्मा, लोकेंद्र, हेमावती, बलवंत को उपाध्यक्ष, नरेंद्र देष्टा को महासचिव, रिंकू राम, नवीन, धर्मेंद्र, महेंद्र, विनोद को सचिव और दलीप कुमार को कोषाध्यक्ष चुना गया। वेघराज, सुरेन्द्रा, सीताराम, रवि, हर्षलता, विद्या गाजटा, विशाल, ललिता, नीमू, प्रवीण, निशा, संदीप, रामदास, लेखराज, हेमलता को कमेटी सदस्य चुना गया।</p>
<p>सम्मेलन का उद्घाटन सीटू राज्य सचिव विजेंद्र मेहरा ने किया। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार की आउटसोर्स कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदेश में आंदोलन तेज होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार आउटसोर्स कर्मचारियों के प्रति सौतेला व्यवहार अपना रही है और उनकी अनदेखी की जा रही है। उनके लिए न तो कोई स्थायी नीति बनाई जा रही है और न ही उन्हें नियमित किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के समान कार्य के समान वेतन के निर्णय के बावजूद उसे लागू नहीं किया जा रहा है। आउटसोर्स एजेंसियों द्वारा श्रम कानूनों की खुली उल्लंघना जारी है परन्तु प्रदेश सरकार मौन है जिससे स्पष्ट है कि यह सरकार शोषण को बढ़ावा दे रही है।</p>
<p>यूनियन के राज्याध्यक्ष यशपाल, नवनियुक्त जिलाध्यक्ष विरेन्द्र लाल, महासचिव नरेंद्र देष्टा और कोषाध्यक्ष दलीप कुमार ने मांग की है कि आउटसोर्स कर्मियों को 18 हज़ार रुपये न्यूनतम वेतन दिया जाए। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार के आईपीएच मंत्री और मुख्यमंत्री विधानसभा में आउटसोर्स कर्मियों के खिलाफ वक्तव्य जारी करके उनका अपमान कर रहे हैं जिसे कतई सहन नहीं किया जाएगा। उन्हें ईपीएफ, मेडिकल, बोनस, ग्रेच्युटी, छुट्टियों आदि सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है।</p>
<p>इस तरह ये कर्मचारी भारी शोषण के शिकार हैं। भूतपूर्व कांग्रेस सरकार की तरह ही वर्तमान बीजेपी सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों को ठगने का कार्य कर रही है। ये सरकार इन कर्मचारियों के लिए नीति बनाने के बजाए इनकी संख्या को 42 हज़ार के बजाए 10 हज़ार बताकर गुमराह करने की कोशिश कर रही है। इस तरह यह सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों की भूमिका को दरकिनार कर रही है।</p>
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