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भारत के इतिहास में आज का दिन महत्वपूर्ण, 92 में सरकार गिरने का नहीं कोई मलाल: शांता

नवनीत बत्ता |

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि सर्वोच न्यायालय ने एक एतिहासिक और सर्वोतम निर्णय देकर पूरे भारत को न्याय दिया है। यह एक पूरे भारत की सामूहिक जीत है। हिमाचल और विशेषकर पालमपुर के लोग इस लिए भी अधिक प्रसन्न हैं क्योंकि आज से 30 साल पहले हमारे पालमपुर में ही बीजेपी की राष्ट्रीय कार्य समिति ने राम मंदिर का ऐदिहासिक प्रस्ताव पास किया था। 1992 में मस्जिद ध्वंस के कारण हमारी सरकार को भंग किया गया था। शांता ने कहा कि उस समय हिमाचल में 53 विधायकों के साथ हमारी सरकार थी जिसे रातों-रात कांग्रेस ने हटा दिया था। लेकिन आज जो ऐतिहासिक फैसला आया है उसके बाद हमें कोई मलाल नहीं है और आज समस्त भारत के लोग दिल से खुश हैं।

शांता ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा कि ठीक 30 साल पहले 13 से 15 जून को पालमपुर में हुई बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राम मंदिर मुद्दे को बीजेपी ने अपने एजैंडे में डालकर इस आंदोलन को नया जीवन दिया था। इस ऐतिहासिक बैठक में केंद्र सरकार से प्रस्ताव डालकर मांग की गई थी कि अयोध्या मामले में वही दृष्टिकोण अपनाया जाए जो स्वतंत्र भारत की पहली सरकार ने सोमनाथ मंदिर के बारे में अपनाया था।

बैठक के समापन पर प्रकृति मैदान में प्रदेश स्तर की एक रैली में बीजेपी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण अडवानी सहित सभी वक्ताओं ने माहौल राममय कर दिया था। इससे उत्साहित बीजेपी ने मात्र 19 माह में पूरे देश में विहिप को औपचारिक समर्थन देकर ऐसा जनमत तैयार किया जिसके चलते 1990 में हिमाचल, यू.पी., मध्य प्रदेश और राजस्थान में बीजेपी ने सरकारें बना लीं। इसी सफलता के नशे में बीजेपी और विहिप के कार सेवकों ने 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिरा दिया। इसके चलते केंद्र की कांग्रेस सरकार ने बीजेपी के चारों राज्यों की सरकारें भंग कर दीं।

हिमाचल में बीजेपी के 53 विधायकों वाली सरकार आगामी विधानसभा चुनाव में मात्र 6 सीटें ही जीत पाई। पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद शांता कुमार ने पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा कि 1989 में पालमपुर में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ऐतिहासिक प्रस्ताव पास कर पहली बार राम मंदिर आंदोलन को अपना समर्थन दिया था। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद को जब गिराया गया उस समय हिमाचल प्रदेश का भी एक विधायक राम रतन उस विवादित ढांचे को गिराने गया था और जब वापस आए तो एक-एक पत्थर अपने साथ लेकर आए और सब को बताया कि उन्होंने बाबरी मस्जिद को गिराने में अपना काम कर दिया है।

शांता कुमार ने कहा कि मैंने अपना राजधर्म उस समय भी निभाया था और रामरतन के ऊपर एफ आई आर दर्ज करवाई थी और फिर अचानक ही हमारी सरकार को हटा दिया गया। हालांकि एफआईआर दर्ज करवाने पर मुझे विश्वव हिंदू परिषद की बड़ी नाराजगी भी सहनी पड़ी। लेकिन अब मुझे आज कोई मलाल इस विषय को लेकर नहीं है।