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संघ प्रधान, जयराम परेशान, मंत्रिमंडल में बदलाव के लिए मशक्कत जारी

नवनीत बत्ता |

हिमाचल प्रदेश बीजेपी में इन दिनों गुटबाजी चरम पर है। प्रदेश में हर स्तर पर बीजेपी के भीतर एक दूसरे को पटखनी देने का दौर चला हुआ है। इन सबके बीच में एक तरफ जहां मंत्रिमंडल विस्तार में देरी चल रही है तो वहीं, दूसरी तरफ संगठनात्मक चुनावों में भी आए दिन नए नए राजनीतिक समीकरण देखने को मिल रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जयराम ठाकुर को भी हाल ही में दिल्ली में डेरा इसलिए डालने पड़ा था। क्योंकि पार्टी का ही एक गुट भीतर से अस्थिरता पैदा करने का माहौल कर रहा है और उसी की सफाई देने के लिए मुख्यमंत्री का समय दिल्ली में लग गया।

अब जब प्रदेश में एक बार फिर से मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद मंत्रिमंडल विस्तार और संगठनात्मक चुनावों की चर्चा चल रही है। जहां पहले कांगड़ा से राकेश पठानिया और हमीरपुर से नरेंद्र ठाकुर के नाम पर मुहर लग चुकी थी। लेकिन अब एक बार फिर से संघ की राजनीति के चलते नए समीकरण उभर कर आए हैं। जिनमें एक तरफ जहां राकेश जम्वाल का नाम मंत्रिमंडल के लिए चल रहा है वहीं, सुखराम चौधरी के नाम पर भी चर्चाएं गर्माई हुई हैं ।

इतना ही नहीं सरकार विधानसभा अध्यक्ष को बदलने की तैयारी में भी नजर आ रही है और अगर राजीव बिंदल को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाता है तो ऐसे में सरकाघाट से विधायक कर्नल इंदर सिंह का स्पीकर बनना भी तय है। लेकिन इन सबके बीच में महत्वपूर्ण बात यह है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अब आर-पार की लड़ाई के मूड में नजर आ रहे हैं और इसके लिए अगर जयराम ठाकुर को अपने कुछ मंत्रियों को सरकार से हटाकर संगठन में डालना पड़े तो इससे भी वो गुरेज नहीं करेंगे।

इसी कड़ी में अब विक्रम ठाकुर का नाम भी राकेश जम्वाल और त्रिलोक जम्वाल के साथ प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में नजर आ रहा है । जिससे स्पष्ट होता है कि अब नई बीजेपी कि इस सरकार ने संघ के साथ मिलकर पुराने गुटों को पूरी तरह राजनीतिक रूप से शांत करने का मन बना लिया है। लेकिन अब देखना यह है कि राजनीति की यह लड़ाई किस करवट बैठती है। क्योंकि यहां पर न सिर्फ जयराम ठाकुर बल्कि शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल जैसे चेहरे की साख भी दांव पर लगी है । वहीं, रविंद्र रवि के ऊपर सरकार क्या कार्यवाही करेगी इसके ऊपर भी सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।