आम आदमी पार्टी के विधायकों पर सदस्यता रद्द होने के बादल मंडरा रहे है। आप ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया था। राष्ट्रपति ने दिल्ली सरकार के उस बिल को मंजूरी देने से मना कर दिया है जिसमें संसदीय पोस्ट को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट से अलग करने का प्रावधान था।
क्या है ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ का पद)
संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (ए) के तहत सांसद या विधायक ऐसे किसी और पद पर नहीं हो सकते हैं, जहां अलग से वेतन, भत्ता या बाकी फायदे मिलते हों। संविधान के अनुच्छेद 191 (1)(ए) और पब्लिक रिप्रेजेंटेटिव एक्ट के सेक्शन 9 (ए) के तहत भी सांसदों-विधायकों को अन्य पद लेने से रोकने का प्रावधान है। संविधान की गरिमा के तहत लाभ के पद पर बैठा कोई व्यक्ति उसी वक्त विधायिका का हिस्सा नहीं हो सकता।
लाभ के पद के मामले
– मई 2012, में पश्चिम बंगाल में पूर्ण बहुमत से चुनकर आई TMC सरकार ने संसदीय सचिव बिल पास किया था। इसके बाद ममता बैनर्जी सरकार ने करीब 2 दर्जन विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। जिसके बाद इन मंत्रियों को मंत्री पद का दर्जा प्राप्त था। पिछले जून में कोलकाता हाईकोर्ट ने सरकार के बिल को असंवैधानिक ठहरा दिया।
– 2006 में जया बच्चन पर आरोप लगा कि जया राज्यसभा सांसद होते हुए उत्तर प्रदेश फिल्म विकास निगम की चैयरमैन है जो लाभ का पद है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जया को सदस्यता गंवानी पड़ी।
– सोनिया गांधी भी एक बार लाभ के पद के मामले में इस्तीफा दे चुकी है। वह रायबरेली से दोबारा चुनकर संसद पहुंची थी।