शिमला शहर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी ने यहां से दो बार विधायक रह चुके सुरेश भारद्वाज पर एक बार फिर दांव खेला है जबकि कांग्रेस ने यहां से पिछली बार के कांग्रेस कैंडीडेट हरीश जनारथा की जगह हरभजन सिंह भज्जी पर भरोसा जताया है। भज्जी पहले भी शिमला से कांग्रेसी विधायक रह चुके है। लेकिन कांग्रेस का हरीश जनारथा का विरोध भारी पड़ सकता है।
शिमला में हमेशा तिकोना मुक़ाबला रहा है। बीजेपी, कांग्रेस और सीपीआईएम, तीनों ही दलों ने शिमला शहर से अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए है। ऐसा भी नही है कि शिमला सीट पर बीजेपी में कोई विरोध नही है लेकिन कांग्रेस में हरीश जनारथा की खुली चुनौती शिमला शहर में कांग्रेस का गणित बिगाड़ सकती है। इसमें यदि अनुमान लगाया जाए कि कांग्रेस की कलह का सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा तो ये कहना बेमानी होगा। क्योंकि यदि जनारथा निर्दलीय खड़ा होते है तो बीजेपी को फायदा मिल सकता है लेकिन जनारथा चुनाव नही लड़ते है तो इसका लाभ सीपीआईएम के उम्मीदवार संजय चौहान को मिल सकता है।
शिमला में एक जगह के वोटर नही है यहां पहाड़ से लेकर मैदानी और व्यापारी वर्ग वोटर है। ऐसे में आम वोट तीनों जगह बंट जाता है लेकिन व्यापारी वर्ग, कर्मचारी वर्ग को जिसने साध लिया वह शिमला से बाज़ी मार लेता है। वाबजूद इसके शिमला में जीत का अंतर 500 से हज़ार तक ही रहता है।