पूर्व मंत्री जीएस बाली ने किसानों से संबंधित कृषि विधेयक को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। पूर्व मंत्री ने कहा कि सरकार और उसके नेता टीवी चैनलों में डिबेट और प्रेस वार्ता में कह रहे हैं कि किसानों की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रावधान खत्म नहीं किया जाएगा। अगर ऐसा है तो यह बात कृषि उपज संशोधन विधेयक में क्यों नहीं लिखी गई?
पूर्व मंत्री ने कहा कि टीवी चैनलों पर जिसकी गारंटी दी जा रही है उसकी गारंटी आज क़ानून बने विधेयक में भी दी जा सकती थी । इसलिए किसानों की चिंता जायज है। उन्होंने कहा कि पूंजीपतियों की गिरफ्त में किसानों को फंसाने की नींव तैयार हो चुकी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसान कम से कम अपनी फ़सल को बिकने की उम्मीद और लाभ हानि का गुणा भाग कर पाता था । न्यूनतम समर्थन मूल्य हमेशा रहेगा और सरकार तय करेगी न की बाज़ार तो यह बात विधेयक क़ानून में क्यों नहीं डाली गई है ?
बाली ने कहा कि किसानों और ख़रीददार कंपनियों के बीच होने वाले विवाद को सुलझाने के लिए जो बोर्ड आदि का प्रावधान रखा है वो धरतीपुत्र किसान की समझ और पहुंच से परे है । नोटबंदी से काले धन ख़त्म होने के जुमले की जगह असंगठित क्षेत्र की रीढ़ तोड़ दी गई । लाखों रोज़गार ख़त्म कर दिए गए । आशंका है किसानों के भविष्य से भी ये बिल जुमला बनकर त्रासदी न बन जाए ।