हिमाचल प्रदेश की राजनीति में हमीरपुर जिला एक अहम स्थान रखता है। इस जिले को बीजेपी के गढ़ के तौर पर भी देखा जाता रहा है। लेकिन, बीते चंद महीनों से यह जिला बीजेपी के भीतर ही हाशिए पर जाता दिखाई दे रहा है। इसका सबसे बड़ा प्रणाण प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक है।
हमीरपुर के भीतर यह चर्चाआम है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की हार का असर जिला से जाता नहीं दिख रहा। उनके प्रभाव के कम होते ही पार्टी की संगठनात्मक गतिविधियां जिले से शिफ्ट होती जा रही हैं। क्योंकि, हमीरपुर बीजेपी का एक ऐसा जिला है जहां पर आज से नहीं बल्कि ठाकुर कांशीराम और ध्यान चंद सोहारू के वक्त से बड़े-बड़े नेताओं का आना जाना लगा रहता था। प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर की पार्टी के कार्यक्रम हमीरपुर में ना हों ऐसा नहीं होता। लेकिन, वर्तमान समय में प्रदेश कार्यकारिणी की प्रस्तावित बैठक भी हाथ से निकल गई है।
हमीरपुर में होने वाली थी कार्यकारिणी की बैठक!
जानकारी के मुताबिक बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी की 3 दिवसीय बैठक हमीरपुर में होनी तय थी। इसके लिए भोरंज से विधायक कमलेश कुमारी ने बकायदा मंडी की कार्यसमिति में इसकी मांग भी रखी और उस मांग को मान भी लिया गया था। लेकिन, जैसे ही पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल बीजेपी में धराशायी हुए हाईप्रोफाइल और निर्णायक बैठकों का दौर भी खत्म हो गया।
बीजेपी की दलील
हालांकि, इस चर्चा पर बीजेपी संगठन ज्यादा कुछ नहीं बोल रहा है। कार्यकारिणी को लेकर हमीरपुर बीजेपी का कहना है कि यहां अतिथियों के लिए तमाम व्यवस्थाएं ममुकिन नहीं हैं, लिहाजा इसे शिमला शिफ्ट करना पड़ा है। लेकिन, सवाल ये है कि इससे पहले हमीरपुर में बड़े से बड़े कार्यक्रम देखे गए हैं और वे सफल भी रहे हैं।
धूमल फैक्टर का बीजेपी पर उल्टा असर
हमीरपुर में लगातार संगठनात्मक हलचल कम होने से पार्टी और जनता के बीच इसे धूमल फैक्टर का रिवर्स अटैक माना जा रहा है। चर्चा है कि प्रेम कुमार धूमल का प्रभाव तो है, लेकिन संगठनात्मक स्तर पर पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिलने से इसका निगेटिव असर देखने को मिल रहा है।
सूत्रों की माने तो हमीरपुर बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक के लिए तैयार नहीं हो पायी और यह मसला धूमल दरबार में भी उठा। लेकिन, आर्थिक तौर पर किसी ने भी इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी नहीं ली।
हालांकि, बैठक को लेकर हमीरपुर के विधायक नरेंद्र ठाकुर का कहना है कि सारे फैसले संगठनात्मक स्तर पर फाइनल होते हैं। लिहाजा, जो भी आदेश हाईकमान से मिल रहे हैं उसका हम अनुपालन कर रहे हैं।