हिंदू पांचाग के अनुसार, नवरात्रि साल में चार बार पड़ती है। इसमें से दो नवरात्रि सामान्य होते हैं और दो नवरात्रि गुप्त होते हैं। इस बार अषाढ़ माह में 3 जुलाई बुधवार के लिए गुप्त नवरात्रि का शुभारम्भ हो रहा है। सप्तमी तिथि का क्षय होने के कारण यह नवरात्रि 8 दिनों का है। गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक और अघोरी अपनी मनोकामना पूरी करने और शक्ति हासिल करने के लिए ख़ास विधि से मां की पूजा करते हैं। इस दौरान तांत्रिक गुप्त तरीके से सबकी नजरों से बचाकर मां की पूजा करते हैं।
गुप्त नवरात्रि का महत्व:
गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक और अघोरी आधी रात में मां दुर्गा की पूजा करते हैं। इस दौरान वो चमत्कारी शक्तियां हासिल करना चाहते हैं। तंत्र-मंत्र सिद्धि करने के लिए ही वो गुप्त नवरात्रि की पूजा करते हैं। कुछ तांत्रिक इस बीच पूरी महाविद्याओं की भी पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दौरान साधना करने से विशेष तांत्रिक शक्तियां हासिल होती हैं। समान्य साधक भी अगर गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा करता है तो उसे नौ गुने अधिक फल की प्राप्ति होती है।
किस दिन होती है किस मां के स्वरूप की आराधना
गुप्त नवरात्रि में खास साधक ही साधना करते हैं और वो अपनी साधना भी गुप्त रखते हैं ताकि वो माता को जल्दी प्रसन्न कर सकें। दूसरे नवरात्र के भांति ही गुप्त नवरात्रि में पहले दिन शैल पुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्माण्डा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नौवें दिन सिद्धिदात्री माता की पूजा आराधना की जाती है।
इस विधि से करें गुप्त नवरात्र पूजा
कहा जाता है कि इस व्रत में मां दुर्गा की पूजा देर रात में करनी चाहिए। इसके बाद मूर्ति स्थापना के बाद मां दुर्गा को लाल सिंदूर और लाल चुनार चढ़ाएं। फिर नारियल, केले, सेब, तिल के लडडू, बताशे चढ़ाएं। माता के चरणों पर लाल गुलाब के फूल भी अर्पित करें। अब गुप्त नवरात्रि के दौरान सरसों के तेल से ही दीपक जलाएं और साथ ही 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' का जाप करना चाहिए।