हिमाचल प्रदेश में हजारों मंदिर हैं और तकरीबन हर मंदिर की अपनी एक दिलचस्प कहानी है। कुल्लू का शंगचुल महादेव मंदिर भी इन्हीं में से एक है जिसका संबंध महाभारत काल से है। कुल्लू की सेंज वैली में बसा है शांघड़ गांव जहां पांडव काल की कई ऐतिहासिक धरोहरें मौजूद हैं। इन्हीं में से एक है यहां का शंगचुल महादेव मंदिर जहां घर से भागे प्रेमियों को आश्रय मिलता है।
प्रकृति की खूबसूरती के बीच स्थित शंगचूल महादेव के बारे में माना जाता है कि उनकी सीमा में किसी भी जाति का प्रेमी युगल अगर पहुंच जाए तो उनको कोई कुछ कह नहीं सकता। बताया जाता है कि जब तक वे इस मंदिर की सीमा रहते हैं, उनको कोई कुछ कह नहीं सकता है। यहां तक कि जोड़े के परिवार वाले भी उनसे कुछ नहीं कह सकते। शंगचुल महादेव मंदिर का सीमा क्षेत्र करीब 100 बीघा मैदान तक फैला है। इस सीमा में कदम रखने वाले प्रेमी युगल को देवता की शरण में आया मान लिया जाता है।
बाहर के लोगों पर प्रतिबंध
अपनी विरासत के नियमों का पालन कर रहे इस गांव में पुलिस के आने पर भी प्रतिबंध है। वहीं यहां के नियम भी सख्त हैं। यहां शराब, सिगरेट और चमड़े का सामान नहीं ला सकते। साथ ही गांव में हथियार लेकर प्रवेश करना भी निषेध है। गांव में लड़ाई झगड़ा ही नहीं, ऊंची आवाज में बात करना भी मना है। वहीं यहां के लोग देवता को बहुत मानते हैं और उनके फैसले का पूरी तरह अनुसरण करते हैं।
पांडवों से संबंध
कुछ समय पहले आग की चपेट में आ गए इस मंदिर का संबंध पांडव काल से बताया जाता है। गांव में ऐसा कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां कुछ समय के लिए रुके थे। कौरव उनका पीछा करते हुए यहां आ गए। लेकिन तब शंगचूल महादेव ने कौरवों को रोका और कहा कि यह मेरा क्षेत्र है और जो भी मेरी शरण में आएगा उसका कोई कुछ बिगाड़ सकता। महादेव के डर से कौरव वापस लौट गए।