सावन के ख़त्म होने और भाद्रपद के आगाज के साथ ही काला महीना शुरू हो जाता है। हिन्दू कैलेंडर का ये छठा महीना कई तरह से खास है। इस बार यह महीना आज से शुरू हो गया है। भादों यानि काला महीना इस महीने को हिमाचल में बुरा महीना कहा जाता है। वैसे तो इस महीने को शास्त्रों में शुभ माना गया है लेकिन ही इस महीने में तांत्रिक विद्या का काम करने वाले लोग अधिक सक्रिय हो जाते है।
तंत्र में विश्वास रखने वाले लोग अपना भूत प्रेत से सबंधित बीमारियों का इलाज तांत्रिकों से करवाते है। दूसरी तरफ़ इस माह में लोग अपने घरों में औऱ मंदिरों में हवन अनुष्ठान करवाते है। कहा जाता है कि इस महीने में किए गए हवन अनुष्ठान आदि सबसे शुभ माने जाते हैं। भाद्रपद मास में पवित्र मन से व्रत, उपवास और साधना करने से पूर्व जन्मों में किए गए पाप भी दूर हो जाते हैं। इस मास में विधि–विधान से भगवान कृष्ण की पूजा करने पर संतान सुख की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
भगवान विष्णु की कृपा से सुख–समृद्धि की प्राप्ति होती है। शारीरिक शुद्धि या सुंदरता के लिए संतुलित मात्रा में पंचगव्य का सेवन करें। वंश वृद्धि के लिए नियमित दूध पीएं। पापों के नाश और पुण्य प्राप्ति के लिए एकभुक्त बिना मांगा भोजन या सर्वथा उपवास करने का व्रत लें। मधुर स्वर के लिए गुड़ का त्याग करें। पलंग पर सोना, भार्या का संग करना, झूठ बोलना, मांस, शहद और दूसरे का दिया दही-भात आदि का भोजन करना, हरी सब्जी, मूली एवं बैंगन आदि का भी त्याग कर देना चाहिए।
काले महीने में नई दुल्हने अपने मायके चली जाती है। ऐसा माना जाता है कि अगर नव विवाहित दुल्हन इस महीने में अपनी सास का मुंह देखें तो घर में अनिष्ट होने की आशंका रहती है। यानी सास और नई बहू लिए ये माह शुभ नहीं माना जाता है। इसे चाहे अंध विश्वास मानो या रीति रिवाज लेकिन आज भी लोग इस महीने के शुरू होने से पहले ही ससुराल वाले अपनी बहू को पूरे आदर के साथ उसके मायके छोड़ आते है। काले महीने के बाद शुभ मुहूर्त पर दुल्हनें वापस अपने घर लौटती है।