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कालीबाड़ी मंदिर में लगा भक्तों का तांता, इसी मंदिर से जुड़ा है शिमला के नाम का इतिहास

पी. चंद, शिमला |

शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में चैत्र मास के नवरात्रों के चलते भारी भीड़ देखने को मिल रही है। इसी मां के नाम पर ही शिमला का नाम पड़ा माना जाता है। शिमला में स्थित “काली बाड़ी मंदिर”, का निर्माण बंगाली काली भक्तों द्वारा 1845 में बनवाया गया था। असल में इस मंदिर का निर्माण कार्य 1823 में ही शुरू हो गया था। मंदिर के पास में उस समय के दस्तावेज आज भी मौजूद हैं। जिनके अनुसार उस समय पर इस मंदिर में लगी मूर्ति की ऊंचाई 4 फीट थी।

दरअसल में यह मंदिर “देवी श्यामला” का मंदिर है। शिमला शब्द भी इसी श्यामला शब्द से उतपन्न हुआ माना जाता है। इस प्रकार से यह श्यामल शब्द ही शिमला का असल उत्पत्तिकारक माना जाता है। श्यामला देवी को ही मां काली माना जाता है। इस मंदिर में उनकी ही एक लकड़ी की मूर्ति लगी हुई है और दीपावली, दुर्गापूजा तथा नवरात्री जैसे अवसरों पर इस मंदिर में भक्तों की भीड़ काफी बढ़ जाती है।

कहा जाता है कि यह मंदिर काफी प्राचीन है, यह पूर्वकाल में जाखू हिल पर मौजूद था पर अब जिस जगह पर है उस स्थान पर इसको अंग्रजों ने अपने कार्यकाल में शिफ्ट करा दिया था। वर्तमान में यह स्कैंडल प्वाइंट से जनरल पोस्ट ऑफिस के कुछ ही दूरी पर स्थित है। अब इस मंदिर में भी पहले की प्राचीन मूर्ति की जगह काफी आकर्षक और कुछ छोटी मूर्ति स्थापित करा दी गई, जो की चंडी देवी की है।

ब्रिटिश हुकूमत के समय में जब शाम को यहां पर आरती हुआ करती थी तब अंग्रेज अफसर उस दौरान काफी शोरगुल होने की शिकायत करते थे पर मंदिर के पुजारी उनको यह कह देते थे कि युद्ध में अंग्रजों की जीत के लिए वे यहां पर प्रार्थना करते हैं। इस प्रकार से यहां निरंतर बिना विघ्न के पूजा होती रहती थी और अंग्रेज परेशान नहीं करते थे। मां के दर्शन के लिए स्थानीय लोगों के साथ साथ बंगाल के भक्त भी वर्ष भर आते हैं।