मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना के साथ चैत्र नवरात्र यानि चैत्र नवरात्रों का आज शुभारंभ हो गया है। भारतीय नववर्ष के शुभारंभ अवसर पर मंदिरों में सुबह घट स्थापना के साथ मां नव दुर्गा के प्रथम रूप शैल पुत्री की पूजा अर्चना हुई। प्रात: काल से ही देवी के प्रदेश के विभिन्न मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा और माहौल मां दुर्गा के जयकारों से गूंज उठा।
नव-संवत्सर-2075 के प्रथम दिन माता के प्रथम रूप शैल पुत्री की पूजा अर्चना भगवान गणेश के पूजन के साथ शुरू हुई। इससे पहले भक्तों ने मां दुर्गा के सुमिरन के साथ घट स्थापना शुरू की और मां के भक्त गंगा तट पहुंचकर कलशों में गंगाजल भरकर लाए। मां दुर्गा के आह्वान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ घर के देव स्थल पर मिट्टी से खेत्री (मां का दरबार) बनाई।
इसमें जौ बोए गए और फिर कलशों में गंगाजल के साथ कुशा, अक्षत, रौली, चांदी का सिक्का आदि रखा गया। तत्पश्चात कलश के शीर्ष भाग पर रक्तवर्णी वस्त्र में लपेट कर श्रीफल विराजा गया। इसके बाद गणेश पूजन और नव ग्रह पूजन कर स्थान देवता और कुल देवताओं का आह्वान कर मां दुर्गा का पूजन हुआ। मां दुर्गा की स्तुति और आह्वान के साथ कलशों को खेत्री के ऊपर प्रतिष्ठित किया। इस तरह से मठ-मंदिर से लेकर घर-घर घट स्थापना हुई।
इसके बाद भक्तों ने मां दुर्गा का व्रत रखकर मां के दरबार में माथा टेका और चुनरी आदि प्रसाद मां के दरबार में चढ़ाया। सोमवार को आदि शक्ति नव दुर्गा के दूसरे रूप 'ब्रह्मचारिणी' की पूजा-अर्चना होगी। नवरात्रों के शुरू होने के साथ ही ब्रजेश्वरी देवी, ज्वालाजी देवी, चांमुडा देवी, चिंतपुर्णी देवी, नैना देवी समेत अन्य मंदिरों में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़नी शुरू हो गई है।