अगर आप भी चाहते हैं अपने शत्रुओं का नाश, तो आईये कांगड़ा के बगलामुखी मंदिर…

<p>जिला कांगड़ा में कई मंदिर हैं, जिनकी अपनी ख़ास विशेषताएं हैं। आज हम बात करेंगे कांगड़ा के बगलामुखी मंदिर की, जहां देश भर से श्रद्धालु आते हैं और दिन प्रतिदिन मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है। बताया जाता है कि लोग इस मंदिर में विशेष रूप से अपने शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए आते हैं।</p>

<p>मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शत्रुओं की नाश करने के लिए पिछले काफी समय से मंदिर हवन में हवन होता आ रहा है और यहां हवन करवाने के लिए बुकिंग तक करवानी पड़ती थी। एक हवन कुंड होने से आलम ये था कि लोगों को महीनों इंतजार भी करना पड़ता था। लेकिन समय के अनुसार हवन कुंडों की संख्या बढ़ा दी गई और अब आए दिन यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है और हवन का दौर चला रहता है।&nbsp;</p>

<p><span style=”color:#e74c3c”><strong>ब्रह्मा की अराधना से हुई थी उत्पत्ति</strong></span></p>

<p>मंदिर के पुजारी की मानें तो मां बगलामुखी का 9 देवियों में से 8वां स्थान है। मां की उत्पत्ति ब्रह्मा द्वारा अराधना करने के बाद हुई थी और विश्व भर में मां बगलामुखी के दो ही मंदिर हैं। जिनमें से कांगड़ा के बनखंडी में है, जबकि दूसरा मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले में है।&nbsp;</p>

<p><img alt=”” src=”http://samacharfirst.com/media/gallery/lkkjk_2018_06_24_092000.jpg” style=”height:720px; width:1280px” /></p>

<p>ऐसी मान्यता है कि एक राक्षस ने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया कि उसे जल में कोई मनुष्य या देवता न मार सके। वरदान मिलने के बाद राक्षस ब्रह्मा जी की पुस्तिका लेकर पानी में छिप गया। वरदान देने के बाद ब्रह्मा ने उसके घमंड का नाश करने के लिए मां भगवती का जाप किया, जिसके बाद बगुले के रूप में मां बगलामुखी की उत्पत्ति हुई। बाद में मां बगलामुखी ने पानी में छिपे राक्षस का वध किया।</p>

<p><span style=”color:#e74c3c”><strong>रावण की ईष्टदेवी है मां बगलामुखी, पीला रंग है प्रिय</strong></span></p>

<p>त्रेतायुग में मां बगलामुखी को रावण की ईष्टदेवी के रूप में भी पूजा जाता है। त्रेतायुग में रावण ने विश्व पर विजय प्राप्त करने के लिए मां की पूजा की। इसके अलावा भगवान राम ने भी रावण पर विजय प्राप्ति के लिए मां बगलामुखी की आराधना की। क्योंकि मां को शत्रुनशिनी माना जाता है। पीला रंग मां प्रिय रंग है। मंदिर की हर चीज पीले रंग की है। यहां तक कि प्रसाद भी पीले रंग ही चढ़ाया जाता है।</p>

<p><img alt=”” src=”http://samacharfirst.com/media/gallery/image(250)_2018_06_23_232524.png” /></p>

Samachar First

Recent Posts

मुश्किल में हिमाचल की जनता: बिजली-पानी के बाद अब केंद्र ने की सस्ते राशन में कटौती

  Shimla: एक तरफ जहां हिमाचल में कांग्रेस सरकार बिजली की दरें बढ़ाकर और ग्रामीण…

2 hours ago

आज का राशिफल: 24 सितंबर 2024, जानें आपके लिए कैसा रहेगा मंगलवार

  मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ) आज आपका दिन अच्छा…

3 hours ago

धर्मशाला में 29 से वन विभाग की राज्य स्तरीय स्पोर्ट्स और ड्यूटी मीट

  सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी होगा आयोजन Dharamshala: जिला मुख्यालय धर्मशाला में 25वीं स्टेट लेवल…

3 hours ago

ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट में बड़ा घोटाला, विक्रम सिंह ठाकुर का बड़ा दावा

स्कैम की जांच करवाए, नहीं तो भाजपा करेगी बड़े आंदोलन का आगाज धर्मशाला। पूर्व उद्योग…

3 hours ago

रेणुका विधानसभा क्षेत्र को उप मुख्यमंत्री का तोहफा, 2.40 करोड़ के विकास कार्यों का शुभारंभ

नाहन। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने आज जिला सिरमौर के श्री रेणुका जी विधान सभा…

18 hours ago

जानें कौन सी योजना देगी 1% ब्याज पर 20 लाख का शिक्षा ऋण

  Shimla: डॉ. वाईएस परमार ऋण योजना को सुक्‍खू सरकार ने विस्‍तार दिया है। योजना…

19 hours ago