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हिमाचल में खास है रामनवमी मनाने का तरीका

समाचार फर्स्ट डेस्क।। |

आज देश भर में रामनवमी वसंत नवरात्रि पर्व मनाया गया। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, रामनवमी को भगवान राम का जन्म हुआ था। कहा जाता है कि चैत्र मास की शुरूआत नवरात्रि से ही होती है और चैत्र मास की नवमी तिथि पर पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव होता है।

इस दिन जगहों-जगहों पर लोग अपने-अपने तरीकों से भगवान श्रीराम का पूजन करते हैं और नवरात्रि को समाप्त करते हैं। भगवान राम व दुर्गा माता के सभी मंदिर फूलों आदि से सजाए जाते हैं। रामनवमी के दिन काफी मात्रा में लोगों की भीड़ मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए आती है और भगवान राम और माता दुर्गा की पूजा करते हैं।

रामनवमी पर रस्में और समारोह

इस दिन देशभर के मंदिरों में भगवान राम और माता दुर्गा की पूजा की जाती है। कई मंदिरों में ‘रामचरित्रमानस’ का आयोजन भी किया जाता है। इस दौरान पालने में भगवान राम की प्रतिमा को रखा जाता है और इसे फूलों से सजाया जाता है। कई जगहों में इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह भी रचा जाता है।

हिमाचल में ऐसे मनाए जाते हैं नवरात्रि व रामनवमी

नवरात्रि का आगमन चैत्र मास में होता है। इस दिन घरों-घरों में लोग कलश की स्थापना करते हैं। कलश में किसी बरतन को रखकर खेतरी बीजी जाती है और कलश के पास में घी का दिया जलाया जाता है। श्रद्धानुसार लोग नवरात्रि में व्रत इत्यादि रखते हैं और पूरे नौ दिन फलहार खाकर गुजारते हैं।

नवरात्रि के चलते कलश को पहले नवरात्र से लेकर रामनवमी तक रखा जाता है। रामनवमी के दिन लोग नवरात्रि समाप्त करते हुए कन्याओं का पूजन करते हैं और उन्हें हल्वा-पूरी खिलाकर अपने व्रत को समाप्त करते हैं। कन्या पूजन के बाद भगवान श्रीराम की पूजा की जाती है।

उन्हें हल्वा-पूरी का भोग लगाया जाता है। हल्वा-पूरी के भोग के साथ कई जगहों में लोग रामनवमी के दिन भंडारे, किर्तन इत्यादि भी करते हैं। भगवान श्रीराम को भोग लगाने के बाद ही लोग अपने व्रतों को तोड़ते हैं और अन्न ग्रहण करते हैं। नवरात्रि में रखे गए कलश को भोग लगाने के बाद हटाया जाता है और उसे पानी में विसर्जित किया जाता है।

देवभूमि के इन मंदिर में उमड़ता है जनसैलाब

हिमाचल प्रदेश को देशभर में देवभूमि के नाम से जाना जाता है। इन नवरात्रों पर कई जगहों से लोग यहां मंदिरों में दर्शन के लिए आते हैं। हिमाचल के प्रमुख मंदिरों में नैनादेवी, चिन्तपुर्णी, ज्वालामुखी, नगरकोट, चामुण्डा, बग्लामुखी के नाम शामिल हैं जहां हर वर्ष लाखों की तादात में श्रद्धालु आते हैं।