देवभूमि हिमाचल के देवालयों में कई अद्भुत रहस्य छिपे हुए हैं। ऐसा ही रहस्यमयी मंदिर जिला मंडी का 'कमरूनाग मंदिर’ है जिसकी झील में आपार खजाना दफ़न है। जिसे आप अपनी आंखों से तो देख सकते हैं। लेकिन उसे न तो आप छू सकते हैं और न तो ले सकते हैं। कमरुनाग मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी से लगभग 68 किलोमीटर दूर रोहांडा में स्थित है। इस कमरूनाग मंदिर की झील में हजारों साल से खरबों का खजाना है। इस मंदिर में भक्त जो भी कामना करते हैं वह पूरी हो जाती है। लेकिन बदले में भक्तजनों को कोई आभूषण इस झील में अर्पित करना पड़ता है। ऐसा हजारों साल से होता आ रहा है। यही वजह है कि झील में अरबों खरबों का खजाना छुपा हुआ है।
कमरुनाग मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। माना जाता है की महाभारत का सबसे महान योद्धा ‘बर्बरीक’ जब युद्ध में लड़ने के लिए युद्धभूमि में पहुंचे तो भगवान श्री कृष्ण ने जान लिया कि वह सिर्फ कमज़ोर पक्ष की तरफ से ही लड़ाई लड़ेगा। ऐसे में बर्बरीक यदि कौरवों की तरफ से युद्ध लड़ा तो नतीजा कौरवों के पक्ष में जा सकता है। इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उनका सर भेंट स्वरूप मांग लिया। इस पर बर्बरीक ने अपना सर काट कर भगवान श्री कृष्ण को दे दिया। लेकिन श्री कृष्ण से विनती कर कहा कि वह महाभारत का पूरा युद्ध देखना चाहते हैं। इस विनती पर श्री कृष्ण ने बर्बरीक का सर सबसे ऊंची पहाड़ी पर रख दिया।
कहा जाता है कि यही वह जगह है जहां पर बर्बरीक का सिर रखा गया इसी जगह से उन्होंने युद्ध देखा। कमरुनाग मंदिर यहीं बनाया गया। महाभारत के युद्ध की जीत के बाद इस झील का निर्माण भीम द्वारा किया गया। तब से ही यहां पर आभूषण अर्पित किए जाते हैं। अगर आप यहां जाएंगे तो आपको झील की गहराई में सोने चांदी के आभूषण नजर आ ही जाएंगे। झील में जितने भी आभूषण चढ़ाए जाते हैं वह सब झील की गहराई में समा जाते हैं। कहा जाता है इन आभूषणों से यह झील कभी नहीं भरती।
मान्यता जुड़ी है कि इस पूरे पहाड़ पर और इस झील के आस-पास नाग रूपी छोटे छोटे पौधे लगे हुए हैं, जो कि दिन ढलते ही इच्छाधारी नाग के रूप में आ जाते हैं। इसलिए इन्हें आप रात में नहीं देख सकते हैं। इस झील में खजाने को लूटने की कई बार कोशिश भी हुई लेकिन लुटेरे कामयाब नहीं हो पाए। माना जाता है कि कोई भी इस झील में इस खजाने को हाथ लगाने या लूटने की कोशिश करता है, उसको इच्छाधारी नाग रोकते हैं और खजाने को लूटने नहीं देते हैं।