मां भगवती के शरद नवरात्रि का शुभारंभ चित्रा नक्षत्र में मां जगदम्बे के नाव पर आगमन से हो रहा है। इस बार प्रतिपदा और द्वितीया तिथि एक साथ होने से मां शैलपुत्री और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा एक ही दिन होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 10 अक्टूबर को प्रतिपदा और द्वितीया माना जा रहा है। पहला और दूसरा नवरात्र दस अक्तूबर को है। इस बार पंचमी तिथि में वृद्धि है। 13 और 14 अक्तूबर दोनों दिन पंचमी रहेगी। पंचमी तिथि स्कंदमाता का दिन है।शारदीय नवरात्रि 2018 में मां दुर्गा का आगमन नाव से होगा और हाथी पर मां की विदाई होगी। बंगला पंचांग के अनुसार, देवी अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आएंगी और डोली पर विदा होंगी।
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: 4.39 से 7.25 बजे तक का समय भी श्रेष्ठ है। 7.26 बजे से द्वितीया तिथि का प्रारम्भ हो जाएगा। यदि किन्हीं कारणों से प्रतिपदा के दिन सवेरे 6.22 से 7.25 मिनट तक घट स्थापना नहीं कर पाते हैं तो अभिजीत मुहूर्त में 11.36 से 12.24 बजे तक घट स्थापना कर सकते हैं। लेकिन यह घट स्थापना द्वितीया में ही मानी जाएगी।
नवरात्र की तिथियां –
प्रतिपदा / द्वितीया – 10 अक्तूबर – मां शैलपुत्री मां ब्रह्मचारिणी
तृतीया – 11 अक्तूबर – मां चन्द्रघण्टा
चतुर्थी – 12 अक्तूबर – मां कुष्मांडा
पंचमी – 13 अक्टूबर – मां स्कंदमाता
पंचमी – 14 अक्तूबर – मां स्कंदमाता
षष्टी – 15 अक्तूबर – मां कात्यायनी
सप्तमी – 16 अक्तूबर – मां कालरात्रि
अष्टमी – 17 अक्तूबर – मां महागौरी (दुर्गा अष्टमी)
नवमी – 18 अक्तूबर – मां सिद्धिदात्री (महानवमी)
दशमी- 19 अक्तूबर- विजय दशमी (दशहरा)
नवरात्रि में मां दुर्गा के इन रूपों की
इस प्रकार मां भगवती के 9 रूपों की पूजा की जाएगी। नवरात्रि और दुर्गा पूजा मनाए जाने के अलग-अलग कारण हैं। मान्यता है कि देवी दुर्गा ने महिशासुर नाम के राक्षस का वध किया था। बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में नवरात्र में नवदुर्गा की पूजा की जाती है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि साल के इन्हीं नौ महीनों में देवी मां अपने मायके आती हैं। ऐसे में इन नौ दिनों को दुर्गा उत्सव के रूप में मनाया जाता है।