श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण करने वाली श्रद्धा की प्रतीक, विश्व-विख्यात बज्रेश्वरी देवी मंदिर कांगड़ा के मंदिर में हर वर्ष की भांति इस बार भी सात दिवसीय घृत मंडल पर्व का आयोजन शुक्रवार को शुरू हो गया। कांगड़ा का बज्रेश्वरी देवी मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। यहां सती का दाहिना वक्ष गिरा था। कई शताब्दियों से चली आ रही ऐतिहासिक परंपरा घृत पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण घृत पर्व का आयोजन एक साधारण स्तर पर किया गया।
आपको बता दें कि मंदिर में कुल 30 क्विंटल माखन इस बार चढ़ाया गया जिसमें 18 क्विंटल माखन मां की पिंडी पर चढ़ाया गया। यह माखन 20 जनवरी को उतारा जाएगा जिसे बाद में श्रद्धालुओ में बांटा जाना है। मान्यता है कि इस माखन से कई चर्मरोग दूर होते हैं।
इस विशेष घृत मंडल के आयोजन के उद्देश्य के संबंध में कहा जाता है कि जालंधर दैत्य को मारते समय माता के शरीर पर अनेक चोटें आई थीं। इन घावों को भरने के लिए देवताओं ने माता के शीर पर घृत का लेप किया था। उसी परंपरा के अनुसार एक सौ एक देसी घी को एक सौ बार शीतल जल से धोकर उसका माखन बनाकर माता जी कि पिंडी पर चढ़ाया जाता है। इस घी के ऊपर नाना प्रकार के मेवे और फल मेवों की मालाएं सुसज्जित की जाती हैं।
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