इस साल मौनी अमावस्या 1 फरवरी के दिन मंगलवार को है. माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं. इसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है. मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान और दान करने से पाप मिटते हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है. अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति के लिए भी उपाय किए जाते हैं.
इस दिन आप पितरों को प्रसन्न करके पितृ दोष को दूर कर सकते हैं. जिन लोगों पर पितृ दोष होता है, उनकी उन्नति नहीं हो पाती है, परिवार में सुख, शांति और संतान का अभाव झेलना पड़ता है. वंश वृद्धि में समस्याएं आती हैं. जब पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म नहीं किए जाते हैं और श्राद्ध पक्ष में उनका निरादर करते हैं, तो पितर नाराज होकर श्राप देते हैं, जिससे पितृ दोष लगता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है.
मौनी अमावस्या को स्नान और दान के बाद शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए. भगवान सदाशिव इस जगत के पिता हैं. पूजा के बाद भगवान सदाशिव से पितृ दोष से मुक्ति और जीवन में सुख, शांति एवं उन्नति के लिए प्रार्थना करें. शिव कृपा से आप पितृ दोष से मुक्त हो सकते हैं.
मौनी अमावस्या को गंगा स्नान या घर पर बाल्टी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें. उसके बाद अपने समस्त पितरों का स्मरण करें. उनको जल में काला तिल मिलाकर तर्पण दें. तर्पण पाकर पितर खुश होते हैं. ऐसा करने से पितृ दोष दूर होता है.
मौनी अमावस्या को पितरों की आत्म तृप्ति के लिए आप पिंडदान, श्राद्ध कर्म आदि करें. इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं. इससे भी पितर प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
मौनी अमावस्या के दिन पितरों के लिए भोजन की व्यवस्था करें. श्राद्ध कर्म के बाद कुत्ता और कौआ को उस भोजन का अंश दें. उनके भोजन ग्रहण करने से पितर तृप्त होते हैं. ऐसी मान्यता है कि कुत्ता और कौआ के भोजन करने से वह अन्न पितरों को प्राप्त हो जाता है. वे खुशकर सुख, शांति एवं वंश वृद्धि के लिए आशीर्वाद देते हैं.
मौनी अमावस्या को पितृ दोष को दूर करने के लिए शाम को किसी मंदिर के पास वाले पीपल के पेड़ की जड़ में जल और गाय का दूध चढ़ाएं. उसके बाद सरसों के तेल का दीपक जला दें.