<p>चैत्र मास के नवरात्रि रविवार से शुरू हो रहे हैं। हर जगह नवरात्रि बड़े रसमों-रिवाज़ से मनाए जाते हैं, लेकिन आज के जमाने में कई लोगों को नवरात्रि के रसमों-रिवाज़ के पुराने मतलब नहीं पता। जी हां, इनमें से एक है नवरात्रि का 'कलश'… नवरात्रि में कलश रखना जरूरी है और हर घर में इसकी स्थापना की जाती है। कलश में नारियल, कुश, फूल, सुपारी, धागा, अनाज जैसी चीजों का अपनी ही महत्व है।</p>
<p><span style=”color:#e74c3c”><strong>कलश रखना क्यों जरूरी…</strong></span></p>
<p>हिंदू धर्म में लगभग सभी धार्मिक कार्य में कलश की स्‍थापना होती है। कलश हमेशा तांबे, मिट्टी और पीतल के बर्तन में रखना शुभ होता है। मान्‍यता है कि कलश के मुख में विष्णुजी, कंठ में शंकर ही और मूल में ब्रह्मा जी हैं। वहीं इसके मध्य भाग में में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं। कहा जाता है कि इसे पूजन में देवी-देवता की शक्ति, तीर्थस्थान आदि के प्रतीक के रूप में शामिल किया जाता है। कलश स्‍थापना से सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं की पूर्ति होती है।</p>
<p>वहीं, कलश में जल रख़ने का भी ख़ास महत्व है। माना जाता है कि साधक मन भी जल की तरह हमेशा ही स्वच्छ रहे। निर्मल और शीतल बना रहे। उसमें क्रोध, लोभ, और घमण्‍ड की भावना का वास न हो। नारियल को भगवान गणेश का प्रतीक भी माना जाता है, इसलिए भी उसे कलश स्‍थापना में उस पर रखा जाता है। नारियल का मुख साधक की ओर करके रखा जाता है।</p>
<p><img src=”/media/gallery/images/image(613).jpeg” style=”height:500px; width:700px” /></p>
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