<p>मंडी के शैव भवनावशेशों में पंचवक्र महादेव का मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है । इस मंदिर को राजा अजबर सेन ने निर्मित किया है । इसका निर्माण 16 वीं सदी के पूर्वार्द्ध में माना जाता है । यह भूतनाथ और त्रिलोकीनाथ मंदिरों जैसा बनाया गया शिखराकार भव्य मंदिर है। मंदिर की छत में उत्तम किस्म का पत्थर प्रयुक्त किया गया है ।</p>
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<p>गर्भगृह में भगवान पंचवक्र की विशाल पंचमुखी प्रतिमा स्थापित है । यह प्रतिमा धर्म , मूर्तिकला और आराधना की दृष्टि से अनूठी मानी जाती है । इस उत्तर भारतीय शिखर शैली में निर्मित मंदिर में गर्भगृह और मंडप भी बनाये गये है । मंडप की छतें गिर चुकी है लेकिन दीवारें मौजूद है । इसमें की गई नक्काशी इस बात की ओर संकेत करती है कि यह मंदिर कभी साज सज्जा की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध और वैभवपूर्ण था।</p>
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<p>मंदिर का दरवाजा ब्यास नदी की ओर है। दोनों ओर द्वारपाल है। कई स्थानों पर सांप की आकृतियां मौजूद है। नंदी की मूर्ति भी भव्य है। जिसका मुख गर्भगृह की ओर है। राजा सिद्ध सेन के समय ब्यास में भयंकर बाढ़ आई थी जिस से इस मंदिर को भारी क्षति पहुंची थी लेकिन दौबारा इस मंदिर का निर्माण राजा ने किया था ।</p>
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