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सबके संकट हरते हैं संकटमोचन हनुमान, संकटमोचन मंदिर में लोगों की है गहरी आस्था

पी. चंद, शिमला |

देव भूमि हिमाचल के मंदिर पहाड़ी प्रदेश को अलग पहचान दिलाते है। चप्पे-चप्पे पर स्थित मंदिर यहां के भोले भाले लोगों की आस्था को दर्शाते नज़र आते हैं। शिमला का प्रसिद्ध संकट मोचन मंदिर भी इसी आस्था का प्रतीक है। ये मंदिर कालका – शिमला राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर समुद्र तल से ऊपर 1975 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है जिसे संकट मोचन के नाम से जाना जाता है।  इस मन्दिर से शहर व हिमालय की पर्वतमाला विहंगम दृश्यों  मनमोहन नज़र आता है।

बाबा नीब करोरी जी महाराज’ ने सन् 1950 में इस जगह पर आए   और यहाँ के शांतिमय माहौल से मंत्रमुग्ध हो गए। सन् 1966 में बाबा जी ने इस मंदिर की आधारशिला रखी, बाद में जिला शिमला प्रशासन द्वारा इसका विस्तार किया गया। मंदिर के परिसर को विभाजित किया गया है जहां भगवान शिव, भगवान राम सीता और भगवान गणेश की मूर्तियाँ अलग-अलग परिसरों में प्रतिस्थापित की गईं हैं।

मुख्य द्वार से बाईं तरफ गणेश मूर्ति व मंदिर  दक्षिण भारतीय वास्तुकला शैली पर बनाया गया है। जबकि दाईं तरफ भगवान शिव का शिवलिंग है। मुख्य द्वार के सामने ही नव ग्रह मंदिर भी स्थापित किया गया है। यहां का प्रसाद ‘लंगर’ भी कहलाता है जो पूरे साल हर रविवार को भक्तों में बांटा जाता है। यह मंदिर विवाह सहित विभिन्न अनुष्ठानों के आयोजन की भी सुविधा प्रदान करता है। भक्त बड़ी आस्था के साथ इस मंदिर में आते है और मनचाही मुरादें पाते है।