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सोलन: ढोल-नगाड़ों की थाप के साथ बहन के आतिथ्य के लिए निकली मां शूलिनी देवी

रिक्की योगेश |

आज से सोलन में मनाया जाने वाला तीनदिवसीय राज्यस्तरीय शुलिनी मेला शुरू हो गया है। इस मेले की खाय बात यह है कि मेले में दो बहनों का मिलन देखने को मिलता है। मेले की परम्परा है की मां शुलिनी की शोभायात्रा की पालकी को सूबे का मुख्यमंत्री या राज्यपाल उठाता है जिससे मेले का आगाज माना जाता है लेकिन इस बार परम्परा टूटने वाली है क्योंकि व्यवस्तता होने के कारण न मुख्यमंत्री आयंगे न ही राज्यपाल। इस बार मेले की शोभायात्रा में विस् अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल माता की पालकी उठाकर मेले का आगाज करेंगे।

इस दौरान शहरवासी ढोल-नगाड़ों की थाप पर मां शूलिनी का स्वागत करते हैं तथा जगह-जगह भंडारे करते हैं। मां शूलिनी तीन दिनों तक अपनी बहन के साथ रहती हैं। मेले में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। करीब 500 पुलिस के जवानों को लोंगो की सुरक्षा को देखते हुए तैनाती की गई है।

2 बहनों के मिलन का प्रतीक है शूलिनी मेला   
 
आप को बता दें कि शूलिनी मां सोलनवासियों की अधिष्टात्री देवी हैं। और आज के दिन वह अपने मंदिर से निकल कर गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा में शहर के मुख्य बाजारों से होते हुए अपनी बड़ी बहन जो गंज बाजार स्थित पुराने मंदिर में रहती हैं उनसे वहां दो तीन दिन तक रुकेंगी। इस दौरान शहरवासी ढोल-नगाड़ों की थाप पर मां शूलिनी का स्वागत करते हैं और जगह-जगह भंडारे करते हैं। मां शूलिनी तीन दिनों तक अपनी बहन के साथ रहती हैं। रविवार को वह गाजे-बाजे के साथ फिर अपने मंदिर को वापस आ जायेगी।

शूलिनी मंदिर से गंज बाजार होते हुए हजारों श्रद्धालुओं के बीच मां की भव्य शोभा यात्रा निकलेगी। पहला पड़ाव पुराने बस अड्डे पर लगाया जाएगा। इसके लिए व्यापक सुरक्षा बंदोबस्त किए हैं। इसके बाद पालकी मालरोड से निकलेगी और उपायुक्त चौक से वापसी कर अपनी बड़ी बहन जो गंज बाजार स्थित पुराने मंदिर में रहती हैं उनसे वहां दो तीन दिन तक रुकेंगी। मेले की अंतिम संध्या यानि 26 जून को मां की पालकी को पूजा अर्चना के साथ ही उनके मंदिर तक ले जाया जाएगा।