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महानवमी को होती हैं मां सिद्धिदात्री की पूजा

रमित शर्मा |

नवरात्र के आखिरी दिन को भक्त महानवमी के रूप में मनाते हैं। शारदीय नवरात्रि के शुरू होते ही लोगों को बेसब्री से महा नवमी का इंतजार रहता है। इस साल 29 सितंबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हुई। ऐसे में इस साल महानवमी 7 अक्टूबर यानि आज है। नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है।

इस दिन नवरात्रि पारणा भी होती है, इस दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप को तिल या अनार का भोग लगा सकते हैं।

तिथि और समय

इस साल नवमी महा-अष्टमी के दिन से ही लग रही है। नवमी के शुरू होने की तिथि 6 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 54 मिनट है। वहीं 7 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर नवमी की तिथि समाप्त हो जाएगी।
 
पूजा और हवन विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर पूजा रूम में मां सिद्धिदात्री का चित्र या मूर्ति लगाएं। इसके बाद मां के चरणों में फूल अर्पित कर भोग लगाएं। इसके बाद हाथ में मौली बांध लें। मां दुर्गा के सामने घी का दीपक जलाएं। हाथ जोड़कर मां दुर्गा की आराधना करें। कलश को तिलक करें। हाथ में जल, अक्षत और पुष्प लेकर संकल्प करें। फिर आम की लकड़ियों को कुंड में जलाकर मां दुर्गा का आवाह्न करें। जाने-अनजाने में हवन करते समय जो भी गलती हो गयी हो, उसके प्रायश्चित के रूप में गुड़ की आहुति दें।

महानवमी के बाद 8 अक्टूबर को विजयदशमी का त्योहार सेलिब्रेट किया जाएगा। शारदीय नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा के बाद नवमी को मां दुर्गा को विदाई दी जाती है।

मां सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व

नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। इनकी कृपा से सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है। देवी सिद्धिदात्री की उपासना से अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व जैसी सभी आठों प्रकार की सिद्धियां साधक को प्राप्त होती हैं।

महानवमी के दिन छोटी बच्चियों को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है। नवरात्रि का यह दिन बेहद शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से भक्तों पर मां अपनी कृपा बरसाती हैं।