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मनचाही मुरादें पूरी करती है गया कि मंगलागौरी, यहां नवरात्र में जुट रही भारी भीड़

पी. चंद |

नवरात्र के शुभ मौके पर देवी स्थलों पर भक्तों की भारी भीड़ जुट रही है। बिहार के गया शहर से कुछ ही दूरी पर भस्मकूट पर्वत पर स्थित शक्तिपीठ मां मंगलागौरी मंदिर पर सुबह से ही भक्तों का तांता लग जाता है. मान्यता है कि यहां मां सती का वक्ष स्थल  गिरा था, जिस कारण यह शक्तिपीठ 'पालनहार पीठ' या 'पालनपीठ' के रूप में प्रसिद्ध है। जहां दूर-दूर से भक्तगण मां के दर्शन करने आते है और मनचाही मुरादें पूरी करते हैं।

पौराणिक गकथा के अनुसार भगवान भोले नाथ  सती का जला हुआ शरीर लेकर तीनों लोकों में उद्विग्न होकर घूम रहे थे तो सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मां सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से काटा था। मां सती के शरीर के टुकड़े देश के विभिन्न स्थानों पर गिरे थे, जिसे बाद में शक्तिपीठ के रूप में जाना गया। इन्हीं स्थानों पर गिरे हुए टुकड़े में स्तन का एक टुकड़ा गया के भस्मकूट पर्वत पर गिरा था। इस शक्तिपीठ को असम के कामरूप स्थित मां कमाख्या देवी शक्तिपीठ के समान माना जाता है।

नवरात्र के शुभ मौके पर देवी स्थलों पर भक्तों की भारी भीड़ जुट रही है। बिहार के गया शहर से कुछ ही दूरी पर भस्मकूट पर्वत पर स्थित शक्तिपीठ मां मंगलागौरी मंदिर पर सुबह से ही भक्तों का तांता लग जाता है. मान्यता है कि यहां मां सती का वक्ष स्थल  गिरा था, जिस कारण यह शक्तिपीठ 'पालनहार पीठ' या 'पालनपीठ' के रूप में प्रसिद्ध है। जहां दूर-दूर से भक्तगण मां के दर्शन करने आते है और मनचाही मुरादें पूरी करते हैं।

पौराणिक गकथा के अनुसार भगवान भोले नाथ  सती का जला हुआ शरीर लेकर तीनों लोकों में उद्विग्न होकर घूम रहे थे तो सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मां सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से काटा था। मां सती के शरीर के टुकड़े देश के विभिन्न स्थानों पर गिरे थे, जिसे बाद में शक्तिपीठ के रूप में जाना गया। इन्हीं स्थानों पर गिरे हुए टुकड़े में स्तन का एक टुकड़ा गया के भस्मकूट पर्वत पर गिरा था। इस शक्तिपीठ को असम के कामरूप स्थित मां कमाख्या देवी शक्तिपीठ के समान माना जाता है।