कांगड़ा जिले के पर्यटन स्थल धर्मशाला में एक ऐसा मंदिर है, जहां माना जाता है कि साक्षात इंद्र भगवान नाग के रूप में वास करते हैं। इंद्रुनाग मंदिर को लेकर लोगों में मान्यता है कि बारिश के लिए अगर इंद्रुनाग देवता की पूजा अराधना की जाए तो बारिश जरूर होती है। इतना ही नहीं यदि बारिश बहुत ज्यादा हो रही हो तो पूजा करके बारिश, बंद भी किया जा सकता है।
बता दें इंद्रुनाग मंदिर धर्मशाला पर्वत श्रृंखला में कुछ उचांई पर स्थित है। इस मंदिर की कहानी भी काफी रोचक है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस मंदिर में लोगों की गहरी आस्था है। मंदिर में लोग महत्वपूर्ण आयोजनों के समय मौसम साफ रहने की पूजा अर्चना करते हैं। साथ ही मन्नत पूरी होने पर इस मंदिर में आते हैं।
ये है मंदिर का इतिहास
मंदिर के इतिहास की बात करें तो लोकमान्यताओं के अनुसार इसका संबंध इतिहास के एक राक्षस से जुड़ा है। एक राक्षस जो शिव भक्त था, उसने भोले नाथ की तपस्या कर उनसे इंद्र के समान शक्तियां मांग ली। वरदान पाकर राक्षस जल्दी से इंद्र लोक पहुंचना चाहता था और इसके लिए उसने 4 कहार मंगवाए।
कहार धीरे चल रहे थे इसलिए राक्षस उन्हें सर्प कह कर पुकार रहा रहा था, जिसका संस्कृत में मतलब जल्दी न चलना होता है, लेकिन कहार को राक्षस की इस बात पर गुस्सा आ गया और उसने श्राप दिया कि तुम भी सर्प ही बन जाओगे। राक्षस ने घबरा कर शिव का ध्यान किया और उन्हें इस समस्या के बारे में बताया। शिव ने भी राक्षस को चिंतामुक्त रहने को कहा और कहा कि तुम दोनों नाम से जाने जाओगे, इंद्र भी और नाग भी।
बता दें बीते समय में लोग मन्नत पूरी होने पर यहां पशु बलि देते थे, लेकिन समय के साथ अब ये प्रथा बंद हो गई है। इस मंदिर को स्थानीय लोगों के साथ हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन भी खासी अहमियत देती है। धर्मशाला स्थित अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में जब भी कोई बड़ा आयोजन होता है तो संघ मंदिर जाकर हवन यज्ञ करता है।