‘एक ऐसा मंदिर जहां भजन कीर्तन शुरू होते ही आ जाते हैं देवी मां के चार शेर’

<p>हिमाचल को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। हिमाचल के लोगों में देवी-देवताओं के प्रति गहरी आस्था है। यहां कई देवी-देवताओं का वास है। बुजुर्गों के मुंह से सुनी कहानियां और कथाएं लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि यहां वास्तव में कोई शक्ति है या नहीं। हलांकि इन कहानियों के साक्षी और ग्वाह शायह ही कोई होगा, लेकिन इसके बाद देवभूमि के लोग इनपर विश्वास करते हैं। इसका एक सबसे बड़ा कारण है देव आस्था।</p>

<p>कुफरी धार गांव में स्थित मंदिकुफरी धार गांव में स्थित मंदिदेव मंदिर आस्था के साथ लोगों के मन में एक भय भी हो सकता है कि अगर उन्होंने देवताओं के वजूद को चुनौती दी या उनके अस्तित्व को नकार दिया तो शायद उन पर देवताओं का कहर टूट जाए। इस कारण से भी लोग देवताओं की प्रचालित कहानियों और कथाओं को चुनौती नहीं देते हैं।शिमला में घनाहटी के कुफरी धार गांव में कई साल पुराना मंदिर है। कहा जाता है कि इस मंदिर में माता की मूर्ति जमीन से खुद प्रकट हुई है। यह मंदिर वैसे तो जंगल मे बना है, लेकिन सड़क मार्ग से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। गांव के ही लोग इस मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। स्थानीय लोगो के अनुसार यह मन्दिर 200 साल पुराना है ।</p>

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<p>इस मंदिर की विशेषता यह है कि जब भी इस मंदिर मे भजन कीर्तन होते है तो चार शेर मंदिर के पास आकर बैठ जाते हैं और भजन खत्म होते ही वापिस चले जाते हैं। बुजुर्गों की मानें तो शुरू में लोगों ने डंडे लेकर शेर को भगाने की कोशिश की, लेकिन ना तो शेर यहां से हिले और ना ही किसी को कोई नुकसान पहुंचाया।</p>

<p>स्थानीय महिलाओं का कहना है कि जब भी यहां भजन होता है तो माता के शेर यहां आकर बैठ जाते हैं। इस मन्दिर में कोई पुजारी डर के मारे नहीं टिकता है। पुजारियों में भय रहता है कि मंदिर में पूजा के दौरान शेर आ कर उन्हें खा न जाए। हलांकि आज तक इन शेरों को किसी ने नहीं देखा है, लेकिन लोगों को अपनी आस्था और दैवीय चमत्कार पर पूरा विश्वास है कि मंदिर में शेर आते हैं। इस मंदिर में स्थानीय ग्रामीण ही पूजा अर्चना और भजन कीर्तन करते है।</p>

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