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सिमसा माता मंदिर- जहां फर्श पर सोने से होती है निसंतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति

समाचार फर्स्ट |

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला की लड़भडोल तहसील के सिमस गांव में देवी का एक अनोखा मंदिर है। कहते हैं इस मंदिर में निसंतान महिलाओं के फर्श पर सोने से उन्‍हें संतान की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में संतान प्राप्‍ति के लिए नवरात्रों का विषेष महत्‍व बताया जाता है। इस मौके पर हिमाचल के पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ से सैकड़ों विवाहित जोड़े इस मंदिर में आते हैं जिनकी संतान नहीं होती है।

ये स्‍थान सिमसा माता के मंदिर के नाम से दूर दूर तक प्रसिद्ध है। माता सिमसा या देवी सिमसा को संतान दात्री माता के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर बैजनाथ से 25 किलोमीटर तथा जोगिन्दर नगर से लगभग 50 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।

अनूठा विश्‍वास

नवरात्रों में होने वाले इस विशेष उत्सव को स्थानीय भाषा में सलिन्दरा कहा जाता है, जिसका अर्थ है स्वप्न आना। नवरात्रों में निसंतान महिलायें मंदिर परिसर में आकर निवास करती हैं और दिन रात पूजा अर्चना करते हुए मंदिर के फर्श पर ही सोती हैं। कहा जाता है जो महिलाएं माता सिमसा पर विश्‍वास करती हैं और श्रद्धा से उनकी पूजा करती हैं माता सिमसा उन्हें स्वप्न में मानव या प्रतीक रूप में दर्शन देकर संतान का आशीर्वाद प्रदान करती है। यदि कोई महिला स्वप्न में कोई कंद-मूल या फल प्राप्त करती है तो इसका अर्थ ये माना जाता है कि उस महिला को संतान का आशीर्वाद मिल गया है। कहा तो यहां तक जाता है कि स्‍वप्‍न में ही संकेत देकर देवी सिमसा ये भी बता देती हैं कि लड़का होगा या लड़की।

अजीबो गरीब संकेत

मान्‍यता के अनुसार यदि किसी महिला को अमरुद का फल मिलता है तो वे समझ ले कि लड़का होगा, परंतु अगर किसी को स्वप्न में भिन्डी मिलती है तो बेटी होने का आर्शिवाद मिला बताया जाता है। ये भी कहा गया है कि यदि किसी महिला को धातु, लकड़ी या पत्थर की बनी कोई वस्तु प्राप्त हो तो उसे समझ जाना चाहिए कि उसके संतान नहीं होगी।

संतान ना होने के संकेत के बाद मंदिन में रुकना वर्जित

 
अगर किसी महिला को संतान ना होने का संकेत मिल चुका है तो उसका मंदिर के प्रांगण में रहना मना होता है। कहते हैं कि निसंतान बने रहने का स्वप्न प्राप्त होने के बाद भी यदि कोई स्‍त्री अपना बिस्तर हटा कर मंदिर परिसर से नहीं जाती है, तो उसके शरीर में लाल-लाल दाग उभर आते हैं, जिनमें भयंकर खुजली होती है। जिसके बाद उसे मजबूरन वहां से जाना ही पड़ता है। संतान प्राप्ति का आर्शिवाद पाने वाली महिलायें संतान के जन्‍म के बाद अपने पति एवम परिवार के साथ वहां देवी का धन्‍यवाद करने भी आती हैं।