जिला हमीरपुर और बिलासपुर के हजारों परिवारों की कुल देवी है माता हरि देवी नवरात्रों में सैंकड़ो भक्त अपनी मुरादें लेकर मंदिर में पहुंचते हैं व अपनी खाली झोलियों को भरते हैं।हिमालय की शिवालिक हिल रेंज में बसा बिलासपुर जिले के घुमारवीं उपमंडल की ग्राम पंचायत लैहड़ी सरेल में स्थापित पौराणिक व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हरी देवी मंदिर आज भी लोगों की आस्था का प्रतीक है। मंदिर शिमला-धर्मशाला राष्ट्रीय राजमार्ग 103 पर डंगार से करीब दो किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर स्थित है।
हर साल यहां 21 मई को मेले का आयोजन किया जाता है। बुजुर्ग लोगों का कहना है कि इस मंदिर की स्थापना बिलासपुर के किसी राजा ने की थी। क्योंकि राजा की कोई संतान नहीं थी इसलिए मंदिर में आकर संतान सुख प्राप्ति की मन्नत मांगी थी कि यदि संतान हो जाए तो यहां माता का मंदिर बनाया जाएगा। शीघ्र ही राजा को संतान सुख प्राप्त हो गया और यहां मंदिर का निर्माण राजा द्वारा कराया गया। जब राजा संतान व रानी के साथ आया तो वंश हरा भरा होने के कारण व संतान सुख प्राप्त होने पर रानी ने इस माता का नाम हरी रख दिया। मंडी व हमीरपुर जिलों के समीप होने के कारण यहां के लोग इस मेले को देखने के लिए आते हैं।
लोग इस दिन घर में आई गेहूं की फसल की भेंट चढ़ाकर माता से संतान सुख व पारिवारिक सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आने वाली नई फसल की अच्छी पैदावार की कामना करते हैं। इस दिन बारिश जरूर होती है चाहे मौसम कितना भी साफ क्यों न रहा हो। शिवालिक हिल रेंज में बसा होने के कारण शुरू से ही भारत सरकार के पुरातत्व विभाग की खोदाई व खोज का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां पर लाखों वर्ष पुराने जीवाश्म पाए गए हैं।