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आज है सर्व पितृ अमावस्या, जाने क्या है आज के दिन का महत्व

डेस्क |

आज बुधवार को पितृ पक्ष का अंतिम दिन है। आज के दिन को सर्व पितृ अमावस्या भी कहा जाता है। पितृ पक्ष में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व है। आज के दिन उन पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है जिनकी मृत्यू की तिथि पता नहीं होती। ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन श्राद्ध किए जाने से पितरों की आत्‍मा को शांति मिलती है। आज के दिन धरती पर आए सभी पितरों को श्राद्ध कर्म करके पितृ लोक में विदा करते हैं।

शास्‍त्रों के अनुसार आश्विन माह कृष्‍ण पक्ष की अमावस्‍या त‍िथ‍ि को सर्व प‍ितृ श्राद्ध त‍िथ‍ि कहा जाता है। इस द‍िन भूले-ब‍िसरे प‍ितरों की आत्‍मा की शांत‍ि के ल‍िए श्राद्ध क‍िया जाता है। इस द‍िन अगर पूरे मन से और व‍िध‍ि-व‍िधान से प‍ितरों की आत्‍मा की शांत‍ि श्राद्ध क‍िया जाए तो न केवल प‍ितरों की आत्‍मा शांत‍ होती है बल्कि उनके आशीर्वाद से घर-पर‍िवार में भी सुख-शांत‍ि बनी रहती है।

ऐसे करें सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध

पितरों के लिए बनाए गए भोजन से पहले पंचबली भोग लगाया जाता है। इसमें भोजन से पहले पांच ग्रास, गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और देवों के लिए अन्न निकाला जाता है। इसके साथ ही ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है। कहते हैं कि पितरों के भोजन साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर ही बनाएं। पितृ पक्ष के आखिरी दिन पिंडदान और तर्पण की क्रिया की जाती है। शाम को दो, पांच या सोलह दीपक जलाने की भी मान्यता है। कहते हैं कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान

सर्व पितृ अमावस्या में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिन स्नान और दान का भी विशेष भी महत्व है। इस दिन हर प्रकार की बुराई से बचने का प्रयास करना चाहिए। नशा आदि से भी बचना चाहिए। क्रोध और अहंकार के साथ लोभ से भी दूर रहना चाहिए। इस दिन पितरों के योगदान को याद करना चाहिए और उनका आभार व्यक्त करना चाहिए।