देवी के शक्तिपीठों में से एक कांगड़ा का बज्रेश्वरी माता मंदिर जहां पर माता सती का वक्षस्थल गिरा था। यहां पर मां की पूजा के लिए देश- विदेश के भक्त उमड़ते हैं। यहां पर मां पिंडी के रूप में विराजमान है। बताया जाता है कि जालंधर दैत्य को मारते समय माता के शरीर पर अनेक चोटें आई थी तथा देवताओं ने माता के शरीर पर घृत का लेप किया था।
उसी परंपरा के अनुसार, यहां सदियों से माता की पिंडी पर घृत का लेप करने की परंपरा जारी है। इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए हर वर्ष मकर संक्रांति को मां को कई क्विंटल मक्खन का लेप किया जाता है और मां का घृतमंडल सजाया जाता है। इस घृत मंडल को सजाने के लिए श्रद्धालुओं से 15 क्विंटल देसी घी मंदिर आ गया है और पुजारी वर्ग ने उस घी को मक्खन में बदल दिया है। अब मकर संक्रांति यानि की आज शाम को मां की पिंडी को मक्खन का लेप लगाने का काम शुरू होगा और मां का घृतमंडल भी सजाया जाएगा।
शक्तिपीठ मां बज्रेश्वरी मंदिर में घृत मंडल पर्व मकर संक्रांति से शुरू होता है, जो सात दिनों तक चलता है। इस पर्व के दौरान देवी की पिंडी पर घी और मक्खन का लेप किया जाता है। सातवें दिन घी और मक्खन को पिंडी से उतारकर श्रद्धालुओं में बांट दिया जाता है। लेकिन, भक्त उस घी को खाते नहीं बल्कि अपने शरीर में लगाते हैं। इस शक्तिपीठ में श्रद्धा रखने वाले लोगों का मानना है ऐसा करने से चर्म रोगों और जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है।