हिमाचल में स्थित है एक ऐसा मंदिर है, जिसकी जलधारा में है हर जहरीले सांप के विष का तोड़। इंसान को कितने भी जहरीले सांप ने काट लिया हो, लेकिन अगर वह इंसान इस मंदिर की जलधारा से पानी पी ले तो उसका सारा जहर उतर जाता है। यह मंदिर कांगड़ा के नूरपुर में है और नागणी माता मंदिर नाम से जाना जाता है।
नागणी माता का मंदिर पठानकोट-मनाली सड़क पर नूरपुर से आठ किलोमीटर दूर भड़वार गांव में है। सांप के काटे का विष उतरने के कारण यह मंदिर भक्तों के बीच यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। लोग काफी दूर-दूर से यहां अपना इलाज कराने आते हैं। यह सारा चमत्कार नागणी मां की निकलने वाली जलधारा के पानी का माना जाता है, जिसे पीने से इंसान स्वस्थ हो जाता है।
बिना आज्ञा मंदिर से जाने पर फिर दिखने लगता है जहर का असर
सांप द्वारा काटा गया कोई भी व्यक्ति नागणी के मंदिर से तब तक वापस नहीं जा सकता जब तक पुजारी आज्ञा प्रदान न करे। इसमें से कुछ एक रोगी अपने आप को ठीक समझ कर पुजारी के बिना आज्ञा से घर चले जाते हैं। कई बार उन्हें घर पहुंचने से पहले ही सांप के जहर का असर दिखाई देने लगता है और शरीर में सूजन आने लगती है। रोगी के ठीक होने से आमतौर पर महीना या दो महीने भी लगते हैं। कुछ तो एक सप्ताह से भी कम समय में ठीक होकर अपने घर चले जाते हैं। नागणी मंदिर ज्ञानरथ नाम की एक किताब लिखी है, जिसमें उन्होंने नागणी माता को देवी सुरसा कहा गया है, जिसका उल्लेख तुलसीदास ने रामायण में किया है, जिसके अनुसार सुरसा को सर्पों की माता बताया गया है।
मंदिर के गर्भगृह में होते हैं मां के साक्षात दर्शन
नागणी के रूप में मां के साक्षात जलधारा में मंदिर के गर्भगृह में या प्रागण में दर्शन होते रहते हैं। कभी उनका रंग तांबे जैसा होता है और कभी स्वर्ण तो कभी दुधिया और कभी पिण्डी के ऊपर बैठी नागणी दिखाई देती है। कहते हैं कि नागणी मां के दुधिया दर्शन कभी खुले में होते थे, तब मां की आंखों में काजल लगाया जाता था और सोने के आभूषण पहनाकर श्रृंगार किया जाता था। यह कार्य नूरपुर रियासत के राज परिवार की रानियां और कन्याएं करती थीं।
लोगों की अटूट आस्था और विश्वास के चलते यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। हर साल यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर में हर शनिवार और मंगलवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है।