आज कल फिल्म पुष्पा का ट्रेंड काफी जोरों पर हैं। ऐसे में लोग जानने के लिए उत्सुक हैं कि आख़िरकार लाल चंदन की लकड़ी इतनी कीमती क्यों होती है। आपने यह भी सुना होगा कि चंदन की लकड़ी काफी महंगे दाम पर बिकती है। इसकी एक प्रमुख वजह ये भी है कि चंदन की खेती देश के बहुत कम इलाकों में होती है। यानी ये कुछ एक इलाकों में ही होती है क्योंकि वहां की मिट्टी कुछ अलग रहती है जिससे पैदावार सिर्फ उन्हीं जगह पर हो पाती है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, खेत में चंदन का पौधा लगाने के लिए इसके सीडलिंग की जरूरत होती है जो काफी महंगा मिलता है, लेकिन थोक में खरीदें तो लगभग 400-500 रुपये प्रति पौधे की दर से खरीद सकते हैं और खेतों में लगा सकते हैं। चंदन के पौधे के साथ विशेष खयाल यह रखना होता है कि इसकी खेती तभी होगा जब उसके साथ होस्ट की खेती होगी। होस्ट भी एक तरह से पौधा है जो चंदन के साथ लगाया जाता है। अगर होस्ट पौधा मर जाएगा तो चंदन भी मर जाएगा। 1 एकड़ खेत में 600 चंदन और 300 होस्ट पौधे लगाए जाते हैं।
पानी से बचाएं
चंदन के पौधे को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. इसे देखते हुए चंदन की खेती कभी भी निचले इलाके में नहीं करनी चाहिए जहां पानी रुकता हो। इससे पौधे के सड़ने का खतरा रहता है।. चंदन के पौधे सरकार की तरफ से बेचे जाते हैं, इसमें किसी प्राइवेट एजेंसी का कोई रोल नहीं। अभी सरकार ने चंदन के निर्यात पर भी रोक लगा रखी है। प्राइवेट एजेंसियां चंदन का निर्यात नहीं कर सकतीं, यह काम सिर्फ सरकार ही कर सकती है। खेती कोई भी कर ले लेकिन उसकी लकड़ी का निर्यात सिर्फ सरकार ही करेगी।
सरकार ही करती है निर्यात
चंदन के पौधे तैयार होने के बाद वन विभाग को बताना होता है कि पेड़ कटने के लिए तैयार हैं। उसके बाद वन विभाग आगे का निर्देश देती है और निर्यात का काम शुरू होता है। चंदन दुनिया का सबसे महंगा पेड़ है क्योंकि इसकी लकड़ी प्रति किलो 27 हजार के आसपास बिकती है. एक पेड़ से 15-20 किलो लकड़ी निकल जाएगी जिसे बेचने पर 5-6 लाख रुपये की कमाई होती है। चंदन का इस्तेमाल बहुत व्यापक है जिससे इसकी कीमत बढ़ जाती है. सुगंधित तेल से लेकर आयुर्वेद तक में इसे उपयोग में लिया जाता है।