सामने पति को डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। हिमाचल के एक छोटे गांव से ताल्लुक रखने वाली वीना देवी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। बुरी तरह हताश और परेशान वह पीजीआई चंडीगढ़ के डॉक्टरों से पूछती फिर रही थीं। “मेरे पति ब्रेन डेड हैं, मतलब आगे वो ठीक तो हो जाएंगे ना? कितना वक़्त लगेगा?” डॉक्टरों ने उन्हें सांत्वना देते हुए साधारण शब्दों में समझाया कि अब उनके पति इस दुनिया में नहीं है। लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर उनके अंग सिर्फ जीवित हैं।
यह सुनते ही वीना के पैरों तले से ज़मीन खिसक गई। एक झटके में ही उनकी उम्मीदें क्षत-विक्षत हो चुकी थीं। पति के लौट आने की आस अब टूट चुकी थी। सामने अपने 2 छोटे बच्चों का चेहरा और हार्ट के मरीज ससुर की जिम्मेदारी सामने मुंह खोले बैठी थी।
हालांकि, ऐसे कठोर वक़्त में जब सभी लोग हार जाते हैं, वीना देवी ने खुद को संभाला और ऐसा फैसला लिया जो ना सिर्फ दूसरों के लिए बल्कि पूरी इंसानियत के लिए एक सबक है। उन्होंने अपने आंसुओं को पोछते हुए तुरंत अपने पति के अंगदान का फैसला लिया। आनन-फानन में डॉक्टरों ने उनकी इस पहल पर काम करना शुरू किया और उनके पति के लीवर, हार्ट और दोनों किडनी निकालकर दिल्ली स्थित एम्स भिजवा दिया। इसके लिए बकायदा प्रशासन ने भी भरपूर मदद की। पीजीआई चंडीगढ़ से दिल्ली तक के लिए एक स्पेशल ग्रीन जोन बनाया गया और एयरलिफ्ट के जरिए काफी कम वक़्त में वीना देवी के पति के अंगों को जीवित अवस्था में दिल्ली स्थित एम्स पहुंचा दिया गया। जहां, पर उनके पति के अंगो की बदौलत नए लोगों को जिदंगी मिल गई।
कांगड़ा के एक पिछड़े गांव की हैं वीना देवी
शुरू से ही इस घटना पर नज़र बनाए हुए ‘समाचार फर्स्ट’ की टीम ने वीना देवी के गांव का दौरा किया। वीना देवी कांगड़ा जिले के एक बेहद ही छोटे और पीछड़े गांव करियाड़ा से ताल्लुक रखती हैं। उनके गांव दलितों का गांव हैं और 100 परिवार के लगभग आबादी है। गांव में ज्यादातर कम पढ़े-लिखे और मेहनत-मजदूरी करने वाले लोग हैं।
कांगड़ा जिले का करियाड़ा गांव (ज्वालाजी से 5 किलोमीटर दूर, देहरा तहसील) जो कई सारी बुनियादी सुविधाओं से महरूम है।
सड़क दुर्घटना में घायल हुए थे वीना देवी के पति
वीना देवी के पति प्रदीप कुमार ज्वालाजी में गाड़ियों के सीट-कवर बनाने का काम करते थे। 17 मार्च को वह सुबह अपनी दुकान के लिए एक दूसरे शख्स की बाइक से लिफ्ट ली थी। लेकिन, गांव से नीचे उतरते ही खस्ताहाल सड़क पर बाइक स्कीट कर गई और हादसे में पीछे बैठे प्रदीप के सिर में गंभीर चोट लगी। आनन-फानन में परिजनों ने उन्हें टांडा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया जहां से उन्हें पीजीआई चंडीगढ़ के लिए रेफर कर दिया गया। 19 मार्च को डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया।
वीना देवी के सामने परिवार चलाने की चुनौती
वीना देवी के दो छोटे बच्चे हैं। बेटा 11वीं में पढ़ता है और बेटी 8वीं में। ससुर भी दिल के मरीज हैं और उनका हाल ही में इलाज हुआ था। अब घर में कामकाजी आदमी के रूप सिर्फ देवर रमेश चंद हैं। अपनी माली हालत बयान करते हुए उनके ससुर ने कहा, ”कुछ महीने पहले ही पंजाब नेशनल बैंक से 1 लाख रुपये का लोन लिया गया था। उससे मेरे दिल का इलाज हुआ। ऊपर से बेटे का दुनिया से चले जाना हमारे लिए बहुत बड़ा अघात हैं। अब तो ना पैसा है और ना बेटा ही है। ऊपर से कर्ज का बोझ भी गिर गया है”
वीना देवी के सामने अब कर्ज में डूबे परिवार को संभालने की चुनौती है। वह कहती हैं, “मेरा सहारा कोई नहीं है। मेरे दो छोटे बच्चे हैं। अभी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। कर्ज में डूबा परिवार है। ससुर भी दिल के मरीज हैं। हाल ही में कर्ज लेकर उनका इलाज भी कराया गया।”
हालांकि, अंगदान के बारे में उन्होंने बताया कि उनके बच्चे तो अनाथ हो चुके हैं। उनके सिर से बाप का साया उठ चुका है। लेकिन, उनकी इस कोशिश से किसी दूसरे के सिर से पिता का साया नहीं उठेगा। किसी और का संसार नहीं उजड़ेगा।
पीड़ित परिवार के लिए आगे आए परिवहन मंत्री जीएस बाली
पीड़ित परिवार ने बताया कि अभी तक मदद के नाम पर उन्हें सिर्फ परिवहन मंत्री जीएस बाली की तरफ से भरोसा मिला है। हिमाचल प्रदेश में कैबिनेट मंत्री जीएस बाली ने खुद वीना देवी को फोन कर उनसे बात की और उन्हें हर संभव मदद मुहैया कराने की बात कही।
इस बाबत ‘समाचार फर्स्ट’ ने जीएस बाली से भी बात की। उन्होंने इस घटना पर गहरा दुख जताया और वीना देवी के अंगदान के फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा कि वह इस परिवार के लिए निजी तौर पर हर संभव मदद मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।
आपको सैल्यूट है वीना देवी
हिमाचल प्रदेश के एक पिछड़े गांव और परिवार से ताल्लुक रखने वाली वीना देवी आज पूरे विश्व के लिए एक मिसाल हैं।दुख की घड़ी में भी वीना देवी ने अपने पति के अंगदान का जो फैसला लिया उसकी जितनी भी सराहना की जाए कम है। ‘समाचार फर्स्ट’ अपनी पूरी टीम के साथ उनके इस जज्बे को सैल्यूट करता है और साथ ही उनके दुख की घड़ी में साथ खड़े रहने का वादा भी करता है।