मंडी जिले में बारिश के तांडव का असर तो सालों साल रहेगा मगर लोग अभी बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। शहर में पेयजल की सप्लाई पांचवें दिन भी नहीं हो पाई है। लोग दूरदराज कुदरती स्त्रोतों से पानी ढोह कर ला रहे हैं। शहर के कुछ क्षेत्रों में थोड़ी बहुत सप्लाई हुई है जो नाममात्र है। इधर, शुक्रवार को मंडी के ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में बिजली की सप्लाई अस्थायी तौर पर बहाल हो गई। शहर के विश्वकर्मा चौक पर हालत खतरनाक बने हुए हैं
शहर का एक बड़ा भाग इस कारण कटा हुआ है। लोगों को मीलों चक्कर काट कर आना जाना पड़ रहा है। इधर, जिला दंडाधिकारी मंडी उपायुक्त अरिंदम चौधरी ने एक अधिसूचना जारी करके बेघर हो गए लोगों या जिनके मकान रहने लायक नहीं रहे हैं के लिए टारना हिल्स स्थित बिजली बोर्ड के रेस्ट हाउस को रिलीफ कैंप घोषित कर दिया है। बेघर हुए लोग यहां पर शरण ले सकेंगे
जिले में हजारों लोग बेघर हुए हैं। मंडी शहर के थनेहड़ा मुहल्ला में एक दर्जन परिवारों को घर छोड़ कर जाना पड़ा है। विश्वकर्मा चौक पर हुए भूसख्लन से इनके घरों का बड़ा हिस्सा टूट कर नीचे आ चुका है जबकि बाकी घर कभी भी धराशायी हो सकते हैं। हालात बेहद विपदाई बने हुए हैं। इधर, मंडी कुल्लू नेशनल हाइवे लगातार आठवें दिन भी बंद रहा। वैकल्पिक मार्ग वाया कमांद कटौला बजौरा हल्के वाहनों के लिए खोला जरूर गया है मगर इस मार्ग पर कई कई मील का जाम लग रहा है।
दो घंटे का सफर दस घंटे में तय हो रहा है। रात के समय यहां से तेल, गैस व अन्य जरूरी चीजों की सप्लाई के वाहन भेजे जा रहे हैं ताकि कुल्लू मनाली, लाहुल व पांगी घाटी में जरूरी चीजों की सप्लाई हो सके। हालांकि पिछले तीन दिन मौसम साफ रहने के बाद शुक्रवार को कहीं न कहीं बारिश होती रही जिससे राहत कार्यों में बाधा आई।
विश्वकर्मा चौक के भूसख्लन को पांचवें दिन भी हटाया नहीं जा सका। इसके लिए आइआइटी व अन्य विशेषज्ञों की राय ली जा रही है क्योंकि यहां सीधी पहाड़ी है, उपर से पत्थर गिर रहे हैं व उसके उपर मकान हैं जो कभी भी नीचे आ सकते हैं। एसडीएम सदर ओमकांत ठाकुर ने पूरे क्षेत्र का विशेषज्ञों के साथ दौरा करके जरूरी हिदायतें दी। ऐसे मंे अभी भी मंडी शहर व जिले में जरूरी बुनियादी सुविधाओं के लिए और समय लग सकता है।