मुद्रास्फीति में कमी के कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक ने फिर से नीतिगत दरों में बढ़ोतरी की है। गवर्नर शक्तिकांत दास पहले ही इसके संकेत दे चुके थे। पिछले ही महीने रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी की थी और अब इस महीने फिर से 0.50 फीसदी तक की बढ़ोतरी की गई है। अब रेपो रेट की नई दर 4.90 फीसदी हो गई है। इस बढ़ोतरी के चलते फिर से आपकी ईएमआई महंगी हो जाएगी।
रिजर्व बैंक की तरफ से इस बार रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट यानी 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। रेपो रेट बढ़ने का सीधा सा मतलब है कि रिजर्व बैंक की तरफ से बैंकों को लोन महंगी दर पर मिलेगा। ऐसे में बैंक इस बढ़ोतरी को ग्राहकों तक ट्रांसफर करेंगे और उनके लिए भी कर्ज लेने की दरें महंगी हो जाएंगी। वहीं अगर आपको होम लोन चल रहा है तो उसकी ईएमआई में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। हालांकि, इससे उन लोगों को फायदा होगा जो बैंक एफडी कराते हैं, क्योंकि इससे एफडी की दरें भी बढ़ जाएंगी।
खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में लगातार सातवें महीने बढ़ते हुए आठ साल के उच्चतम स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इसकी मुख्य वजह यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते ईंधन सहित जिंस कीमतों में बढ़ोतरी है। थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति 13 महीने से दो अंक में बनी हुई है और अप्रैल में यह 15.08 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्चस्तर को छू गई। दास ने कुछ समय पहले ही एक टीवी साक्षात्कार में कहा था, ‘‘रेपो दरों में कुछ बढ़ोतरी होगी, लेकिन अभी मैं नहीं बता पाऊंगा कि यह कितनी होगी।’’