संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) का कहना है कि हिंसा का बच्चों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है, जो मौजूदा संघर्षो में या आत्मघाती हमलों में मारे जा रहे हैं या फिर युद्धग्रस्त क्षेत्रों से भाग खड़े होने के दौरान मारे जाते हैं। एक अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक के मुताबिक, मध्य पूर्व एवं उत्तरी अफ्रीका में यूनिसेफ के निदेशक ग्रीट कैपेलिएयरेने जनवरी महीने को युद्धग्रस्त मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीका के लिए बुरा महीना बताया है।
रोजाना मर रहे हैं बच्चे
उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है कि हिंसा की घटनाओं में रोजाना बच्चे मर रहे हैं या घायल हो रहे हैं। सिर्फ जनवरी में ही इराक, लीबिया, फिलिस्तीन, सीरिया और यमन में हिंसा की वजह से कम से कम 83 बच्चों की मौत हो गई।
युद्ध की कीमत चुका रहे हैं बच्चे
कैपेलिएयरेने ने बताया कि युद्ध की कीमत सबसे अधिक इन बच्चों को ही चुकानी पड़ती है, जबकि इनका इससे कोई लेनादेना भी नहीं है। कम उम्र में ही ये बच्चे मारे जा रहे हैं, इनके परिवार हमेशा के लिए दुख में डूब गए हैं।
नहीं थम रहा है मौतों का सिलसिला
कैपिलिएयरे ने कहा कि सीरिया में संघर्ष का यह आठवां साल है, इन संघर्षो में देश में बीते चार सप्ताह में 59 बच्चों की मौत हो गई है। संयुक्त राष्ट्र ने यमन में इन हमलों में 16 बच्चों के मारे जाने की पुष्टि की है और बढ़ रहे संघर्ष में रोजाना बच्चों के मरने या घायल होने की खबर आ रही है।