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हिमाचल में स्क्रब टाइफस से इस साल की पहली मौत, मरीज ने IGMC में तोड़ा दम

पी.चंद |

हिमाचल प्रदेश में कोरोना से थोड़ी राहत के बीच स्क्रब टाइफस डराने लगा है. हिमाचल प्रदेश में इस साल स्क्रब टायफस से पहली मौत हुई है. सोलन के 55 साल के व्यक्ति की स्क्रब टायफस से मौत हो गई है. ये व्यक्ति IGMC के आइसोलेशन वार्ड में दाखिल था. बुधवार देर शाम व्यक्ति की मौत हो गई है. इस साल स्क्रब के अभी तक 600 मरीजों के टैस्ट किए गए हैं, जिसमें से 56 मामले पॉजिटिव आए हैं.

बरसात के दिनों में स्क्रब टाइफस के अधिक मामले सामने आते है. पिछले लगभग 10 सालों से स्क्रब टायफस से सेंकड़ो लोगों की मौत हो चुकी है. स्क्रब टाइफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है, जो खेतों, झाडिय़ों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है. जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है. किसानों बागवानों में स्क्रब टाइफस ज्यादा पाया जाता है.

स्क्रब टाइफस होने पर मरीज को तेज बुखार जिसमें 104 से 105 तक जा सकता है. जोड़ों में दर्द और कंपकपी, ठंड के साथ बुखार, शरीर में ऐंठन ,अकडऩ या शरीर का टूटा हुआ महसूस होना , अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू व कूल्हों के नीचे गिल्टियां का होना आदि इसके लक्षण है. इससे बचने के लिए सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. घर के आसपास कीटनाशक दवाओं का छिडक़ाव करें.

मरीजों को डॉक्सीसाइक्लन और एजिथ्रोमाईसिन दवा दी जाती है. स्क्रब टाइफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है. परिणाम स्वरूप मरीजों की मौत हो जाती है. जब भी खेतों या घास वाली जगह में जाएं शरीर को पूरी तरह ढ़क कर रखें.