भ्रष्टाचार के खिलाफ मंच फोरम अगेंस्ट करप्शन ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय समरहिल शिमला में सहायक प्रोफेसरों एसोसिएट प्रोफेसरों और प्रोफेसरों के पदों के लिए 200 से अधिक शिक्षकों की भर्ती का कड़ा विरोध किया हैं. एफएसी का आरोप हैं कि इन शिक्षकों की भर्ती फर्जी तरीके से हुई हैं. इसकी जांच के लिए एक जांच आयोग का गठन किया जाए. आयोग की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय शिमला के एक मौजूदा न्यायाधीश द्वारा की जानी चाहिए.
शिमला के पूर्व उप महापौर व फोरम अगेंस्ट करप्शन के कन्विनर टिकेंद्र पंवर ने कहा कि भ्रष्टाचार का पैमाना और भर्ती में प्रक्रियाओं का उल्लंघन इतना बड़ा है कि यह केवल कुछ शिक्षकों की भर्ती से संबंधित नहीं है, बल्कि एक बहुत बड़ी धोखाधड़ी है जिसको सत्ता में बैठे लोगों ने किया है. एचपीयू और उसके अधिकारियों से संबंधित अवैधताओं की जांच के लिए एक आयोग की आवश्यकता है, बल्कि उन लोगों के लिए भी जिन्होंने धोखाधड़ी से अनुभव प्रमाण पत्र प्रदान किए. उन्होंने कहा कि यह भरस्टाचार का दौर डॉ. सिकंदर कुमार से शुरू होकर आज तक जारी हैं.
यह एचपीयू अधिनियम में निर्धारित यूजीसी नियमों और कानून के प्रावधानों के उल्लंघन में किए गए लगभग 150 शिक्षकों की भर्ती है. एचपीयू में भर्ती के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उम्मीदवार ने शोध कार्य किया हो और यूजीसी द्वारा निर्दिष्ट पत्रिकाओं में शोध पत्र लेख प्रकाशित करने में सक्षम हो. नियुक्त किए गए कुछ लोग इस शर्त के लिए योग्य नहीं हैं. ऐसे मामले हैं जहां उम्मीदवार 2004 से मास्टर डिग्री या पीएचडी से सम्मानित होने से पहले ही अपना काम का अनुभव दिखा रहे हैं. एचपीयू में भर्ती के लिए उम्मीदवार को यूजीसी से राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा नेट उत्तीर्ण होना चाहिए लेकिन सभी नियम ताक पर रख कर भर्ती की गई हैं. उन्होंने कहा कि जांच का विषय है.