भारत की अध्यात्म की शक्ति ने दुनिया का मार्ग प्रशस्त किया है. यहीं शक्ति हमें पुनः विश्वगुरू बना सकती है. इस दिशा में ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. राज्यपाल governerराजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज शिमला जिले के सुन्नी में ब्रह्माकुमारीज उप सेवा केंद्र के चतुर्थ वार्षिक आध्यात्मिक सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधित में यह बात कही.
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक शक्ति ही परमात्मा की शक्ति है, जो हमें किसी भी कार्य को करने की प्रेरणा देती है. भारत में विश्वगुरू बनने की क्षमता है लेकिन, हमें अपनी आध्यात्मिक शक्ति को पुर्नजागरित करना है. ‘बाबा जी’ ने इस शक्ति को पुर्नजीवित किया और आज जो आंदोलन उन्होंने चलाया उसने वैश्विक रूप धारण कर लिया है. आज 140 देशों में इसके केंद्र संचालिया किए जा रहे हैं.
राज्यपाल ने कहा कि इस देश की आध्यात्मिक शक्ति को जगाने की आवश्यकता है. उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षो से लोगों की सोच में परिवर्तन होने लगा है, जो हमें विश्व गुरू बनने की ओर ले जाएगा. हमारी संस्कृति और परम्परा रही है कि हमने हमने हृदय परिवर्तन कर दूसरों को जीता है. इन विचारों के आधार पर हम लोगों के दिल जीतते रहे हैं. लोगों से इस संस्कृति को संरक्षित रखने का आह्वान किया.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने पूरी दुनिया को अपना घर माना है. हम दुनिया को आर्य बनाना चाहते हैं. आर्य मतलब श्रेष्ठ बनाना चाहते हैं.’’ उन्होंने कहा कि यही सीख ‘बाबा’ ने भी हम सब को दी. समाज के लोगों को बाबा के इस अभियान से जोड़ने की आवश्यकता है. संस्थान के माध्यम से किए जा रहे सामाजिक कार्यो की सराहना की. संस्थान से जुड़े व्यक्ति समाज के लिये प्रेरणादायक है.
इस अवसर पर, राज्यपाल ने सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य कर रहे व्यक्तियों को सम्मानित किया
ब्रह्माकुमारीज माउंट आबू के कार्यकारी सचिव डॉ. मृत्युंजय ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है, जिसकी सार्थकता को बनाये रखने के लिए ब्रह्माकुमारीज सामाजिक कार्यो में कार्यरत हैं. आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान संस्थान ने तीन मास में ही 15000 कार्यक्रम आयोजित किए, जिनमें पौधारोपण व नशामुक्ति जैसे अभियान शामिल है.