हिमाचल के निजी स्कूलों की मनमानी और बेतहाशा फीस बढ़ोतरी पर अब प्रदेश सरकार नकेल कसने का का मूड बना लिया है। प्रदेश के ज्यादातर निजी स्कूलों में 15 फीसदी तक फीस बढ़ाने के मामले में राज्य सरकार एक्शन मोड में आ गई है। निजी स्कूल बेशक एडमिशन फीस नहीं ले रहे हैं लेकिन उन्होंने हजार-हजार रुपए तक मंथली फीस बढ़ा दी है इस तरह से अभिभावकों पर अचानक एक बड़ा आर्थिक बोझ पड़ा हुआ है और पूरे प्रदेश में अच्छे स्कूलों के चक्कर में अभिभावक खासे परेशान नजर आ रहे हैं।
इसी कड़ी में उच्च शिक्षा निदेशालय में एक विशेष कमेटी की बैठक आयोजित कर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग संशोधन विधेयक-2018 के ड्राफ्ट पर मंथन किया गया। कमेटी ने सरकार के ड्राफ्ट में आंशिक संशोधन करते हुए इसे विधानसभा में पेश करने को मंजूरी दे दी है। छुट्टियों के बाद होने वाले बजट सत्र में संशोधन विधेयक का ड्राफ्ट विधानसभा में पेश किया जा सकता है।
सरकार ने यह ड्राफ्ट किया है तैयार
हिमाचल सरकार ने निजी स्कूलों, कोचिंग, ट्यूशन सेंटरों, क्रेच और प्ले स्कूलों को निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के दायरे में लाने का ड्राफ्ट तैयार किया है। नियामक आयोग के दायरे में आने के बाद सभी निजी स्कूल, कोचिंग एवं ट्यूशन सेंटर, क्रेच, प्ले एवं नर्सरी स्कूलों पर कड़ी नजर रखी जा सकेगी। प्रस्तावित विधेयक में सरकार ऐसे सभी शिक्षण संस्थानों की फीस के अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि के लिए अलग से नियम बनाएगी।
बीजेपी के मेनिफेस्टो में भी है उल्लेख
भाजपा ने अपने चुनावी मेनिफेस्टो में घोषणा की थी कि निजी शैक्षणिक संस्थानों में पारदर्शिता लाने के लिए रेगुलेटरी कमीशन का अधिकार क्षेत्र बढ़ाया जाएगा ताकि निजी स्कूलों की शुल्क संरचना की समीक्षा की जाए और अनुचित शुल्क वृद्धि पर रोक लगाई जा सके।