प्रदेश के युवाओं के लिए स्वरोज़गार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने ‘राजीव गांधी स्वरोज़गार योजना-2023 शुरू की है.
इस योजना का उद्देश्य विशेष रूप से हरित क्षेत्र से संबंधित नई परियोजनाओं को प्रोत्साहन प्रदान करना है. हिमाचल में स्वरोज़गार, स्थानीय उद्यमशीलता और राज्य के मज़बूत आर्थिक विकास की परिकल्पना इस योजना में की गयी है.
यह योजना नवीन विचारों, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और एक औद्योगिक पारिस्थितिकीय तंत्र के लिए मार्ग प्रशस्त करने के उद्देश्य से शुरू की गयी है.
इस योजना के माध्यम से 18 से 45 वर्ष की आयु के योग्य युवाओं को नए औद्योगिक उद्यम स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन, रियायतें और सुविधाएं प्रदान की जाएंगी. महिला आवेदकों को अधिकतम आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट प्रदान की गई है. योजना के अन्तर्गत बैंक परियोजना लागत का 90 प्रतिशत सावधि या समग्र ऋण के रूप में प्रदान करेंगे. जबकि 10 प्रतिशत व्यय लाभार्थी द्वारा वहन किया जाएगा.
योजना के तहत पात्र आवेदक को संयंत्र और मशीनरी या उपकरण इत्यादि के लिए अधिकतम 60 लाख रुपये के निवेश पर 25 प्रतिशत उपदान प्रदान किया जाएगा. कार्यशील पूंजी सहित कुल परियोजना लागत एक करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए.
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए निवेश उपदान की सीमा 30 प्रतिशत होगी, जबकि महिलाओं एवं दिव्यांगजन लाभार्थियों के लिए यह सीमा 35 प्रतिशत निर्धारित की गई है.
ई-टैक्सी, ई-ट्रक, ई-बस, ई-टेम्पो की खरीद के लिए सभी पात्र श्रेणियों के लिए निवेश उपदान की सीमा 50 प्रतिशत निर्धारित की गई है. उपदान के लिए पात्र घटक विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में बांटे गए हैं.
इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार द्वारा बजट में 10 करोड़ रुपये का कॉर्पस फंड आवंटित किया गया है. योजना के अन्तर्गत एक परिवार से केवल एक व्यक्ति आर्थिक सहायता का लाभ उठा सकता है.
योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदकों को विभागीय वेबसाइट पर उपलब्ध पोर्टल पर एक सामान्य आवेदन पत्र जमा करना होगा. यह योजना राज्य में एक उद्यम आधारित परिवेश स्थापित करने पर केंद्रित है. उद्यमों को बैंक से ऋण की पहली किस्त प्राप्त करने के दो साल के भीतर वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करना आवश्यक है.
योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक को हिमाचली प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, आयु प्रमाण और प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट जैसे दस्तावेज़ अपलोड करने होंगे.
राजीव गांधी स्वरोज़गार योजना-2023 के कार्यान्वयन के माध्यम से प्रदेश सरकार राज्य में उद्यमशीलता को बढ़ावा प्रदान कर रही है. योजना के अन्तर्गत परियोजना लागत का अधिकांश हिस्सा बैंक प्रदान करेंगे जबकि लाभार्थी को आंशिक वित्तीय योगदान ही करना होगा.
स्वरोज़गार और स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देते हुए राज्य सरकार का लक्ष्य युवाओं को रोज़गार प्रदाता बनने के अवसर प्रदान करना है. ताकि वे आर्थिक विकास के साथ-साथ हिमाचल के समग्र विकास में योगदान दे सकें.
इस योजना के माध्यम से नए विचारों, प्रौद्योगिकी और नवाचारों का समावेश सुनिश्चित कर हरित क्षेत्रों पर आधारित परियोजनाओं को प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि राजीव गांधी स्वरोज़गार योजना केवल एक वित्तीय सहायता कार्यक्रम भर नहीं है. अपितु यह हिमाचल प्रदेश के समग्र विकास और समृद्धि के लिए उत्प्रेरक का कार्य करेगी.
जो लाभार्थियों को सफल उद्यमी बनने और राज्य की प्रगति में योगदान करने के लिए सशक्त बनाएगी
यह योजना निश्चित रूप से स्वरोज़गार और उद्यमिता की शक्ति के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के एक उज्ज्वल और हरित भविष्य के निर्माण की परिकल्पना को साकार करेगी.